तबे भे संच्चाऐ तअ ऐजी असो, के मेरो ज़ाँणों तुवाँरी ताँईऐ फ़ाय्देंबंन्द असो; किन्देंखे के जे हाँव ने ज़ाँऊँबा, तअ सेजा मंद्त्तगार मतल्व पबित्र-आत्त्माँ तुओं कैई ने आँदी; परह् जे हाँव ज़ाँऊबा, तअ हाँव तेसी पबित्र-आत्त्मा तुँओं कैई डेयाल़ी देऊँबा। सेजी पबित्र-आत्त्माँ संईसारी के संहाँम्णें पाप, अरह् धार्मिक्त्ता अरह् नियाँव के बारे दे दोष-कसूर पर्गट करदा; जिन्दें लई कसी के किऐ बुल्णीं ने आँव।