याहवेह, जब भी मैं आपके समक्ष अपना मुकदमा प्रस्तुत करता हूं,
आप सदैव ही युक्त प्रमाणित होते हैं.
निःसंदेह मैं आपके ही साथ न्याय संबंधी विषयों पर विचार-विमर्श करूंगा:
क्यों बुराइयों का जीवन समृद्ध होता गया है?
क्यों वे सब जो विश्वासघात के व्यापार में लिप्त हैं निश्चिंत जीवन जी रहे हैं?