जब भी मैं कुछ कहना चाहता हूं, मैं उच्च स्वर में रोने लगता हूं;
मेरी वाणी के विषय रह गए हैं हिंसा एवं विध्वंस.
क्योंकि मेरे संदर्भ में याहवेह के संदेश का परिणाम हुआ है
सतत निंदा एवं फटकार.
किंतु यदि मैं यह निश्चय करूं, “अब मैं याहवेह का उल्लेख ही नहीं करूंगा
अथवा अब मैं उनकी ओर से कोई भी संदेश भेजा न करूंगा,”
तब आपका संदेश मेरे हृदय में प्रज्वलित अग्नि का रूप ले लेता है,
वह प्रज्वलित अग्नि जो मेरी अस्थियों में बंद है.
अब यह मेरे लिए असह्य हो रही है;
इसे दूर रखते-रखते मैं व्यर्थ हो चुका हूं.