“क्या अपने भवन में देवदार का प्रचूर प्रयोग करने के कारण
तुम राजा के पद पर पहुंच गए हो?
क्या तुम्हारा पिता सर्वसंपन्न न था?
फिर भी उसने वही किया जो सही और न्यायपूर्ण था,
इसलिये उसका कल्याण होता रहा.
तुम्हारा पिता उत्पीड़ित एवं निस्सहायों का ध्यान रखता था,
इसलिये उसका कल्याण होता रहा.
क्या मुझे जानने का यही आशय नहीं होता?”
यह याहवेह की वाणी है.