मेरे पुत्र, यदि तुम मेरे वचन स्वीकार करो
और मेरी आज्ञाओं को अपने हृदय में संचित कर रखो,
यदि अपने कानों को ज्ञान के प्रति चैतन्य
तथा अपने हृदय को समझदारी की ओर लगाए रखो;
वस्तुतः यदि तुम समझ को आह्वान करो
और समझ को उच्च स्वर में पुकारो,
यदि तुम इसकी खोज उसी रीति से करो
जैसी चांदी के लिए की जाती है और इसे एक गुप्त निधि मानते हुए खोजते रहो,
तब तुम्हें ज्ञात हो जाएगा कि याहवेह के प्रति श्रद्धा क्या होती है,
तब तुम्हें परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त हो जाएगा.