मदिरा पी कर मतवाले नहीं बनें, क्योंकि इससे विषय-वासना उत्पन्न होती है, बल्कि पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हो जायें। मिल कर भजन, स्तोत्र और आध्यात्मिक गीत गायें; पूरे हृदय से प्रभु के आदर में गाते-बजाते रहें। हमारे प्रभु येशु मसीह के नाम पर सब समय, सब कुछ के लिए, पिता-परमेश्वर को धन्यवाद देते रहें।