परमेश्वर तुझे आकाश से ओस एवं भूमि की
सर्वोत्तम उपज,
अधिकाधिक अनाज और अंगूर की फसल
प्रदान करे।
राष्ट्र तेरी सेवा करें,
विभिन्न जातियाँ तुझे दण्दवत् करें।
तू अपने भाइयों का स्वामी बने।
तेरी माँ के पुत्र तुझे दण्दवत् करें।
तुझे शाप देने वाले स्वयं शापित हों,
पर आशिष देनेवाले, आशिष प्राप्त करें।’