महापुरोहितों ने धर्मवृद्धों से मिल कर परामर्श किया और सैनिकों को एक मोटी रकम देकर कहा, “लोगों से कहना कि रात को जब हम सोये हुए थे, तो येशु के शिष्य आए और उसे चुरा ले गये। यदि यह बात राज्यपाल के कान में पड़ गयी, तो हम उन्हें समझा देंगे और तुम्हारे लिए चिन्ता की कोई बात न होगी।” पहरेदारों ने रुपया ले लिया और वैसा ही किया, जैसा उन्हें सिखाया गया था। यही कहानी फैल गयी और अब तक यहूदी लोगों में प्रचलित है।