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नीतिवचन 22:6
इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019
लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिये, और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा। (इफि. 6:4)
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नीतिवचन 22:4
नम्रता और यहोवा के भय मानने का फल धन, महिमा और जीवन होता है।
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नीतिवचन 22:1
बड़े धन से अच्छा नाम अधिक चाहने योग्य है, और सोने चाँदी से औरों की प्रसन्नता उत्तम है।
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नीतिवचन 22:24
क्रोधी मनुष्य का मित्र न होना, और झट क्रोध करनेवाले के संग न चलना
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नीतिवचन 22:9
दया करनेवाले पर आशीष फलती है, क्योंकि वह कंगाल को अपनी रोटी में से देता है। (2 कुरि. 9:10)
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नीतिवचन 22:3
चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं।
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नीतिवचन 22:7
धनी, निर्धन लोगों पर प्रभुता करता है, और उधार लेनेवाला उधार देनेवाले का दास होता है।
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नीतिवचन 22:2
धनी और निर्धन दोनों में एक समानता है; यहोवा उन दोनों का कर्त्ता है।
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नीतिवचन 22:22-23
कंगाल पर इस कारण अंधेर न करना कि वह कंगाल है, और न दीन जन को कचहरी में पीसना; क्योंकि यहोवा उनका मुकद्दमा लड़ेगा, और जो लोग उनका धन हर लेते हैं, उनका प्राण भी वह हर लेगा।
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