दूसर महीना क सतरहें दिन, जब नूह छ: सौ बरिस क रहा, धरती क नीचे क सब सोता फूट पड़ेन अउ धरती स पानी बहब सुरु होइ गवा। उहइ दिन धरती प भारी बर्खा होइ लाग। अइसा लाग माना कि अकासे क खिड़की खुल गइ होइ। चालीस दिन अउ चालीस रात तलक बर्खा धरती प होत रही। ठीक उहइ दिन नूह, ओकर मेहरारु, ओकर पूत, सेम, हाम, अउ येपेत अउर ओकर मेहररुअन जहाजे प चढ़ेन।