सो अय्यूब, तुझको अपना मन तैयार करना चाहिये, परमेश्वर की सेवा करने के लिये।
तुझे अपने निज हाथों को प्रार्थना करने को ऊपर उठाना चाहिये।
वह पाप जो तेरे हाथों में बसा है, उसको तू दूर कर।
अपने तम्बू में बुराई को मत रहने दे।
तभी तू निश्चय ही बिना किसी लज्जा के आँख ऊपर उठा कर परमेश्वर को देख सकता है।
तू दृढ़ता से खड़ा रहेगा और नहीं डरेगा।