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नीतिवचन 4:23
पवित्र बाइबल
सबसे बड़ी बात यह है कि तू अपने विचारों के बारे में सावधान रह। क्योंकि तेरे विचार जीवन को नियंत्रण में रखते हैं।
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नीतिवचन 4:26
अपने पैरों के लिये तू सीधा मार्ग बना। बस तू उन राहों पर चल जो निश्चित सुरक्षित हैं।
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नीतिवचन 4:24
तू अपने मुख से कुटिलता को दूर रख। तू अपने होठों से भ्रष्ट बात दूर रख।
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नीतिवचन 4:7
“बुद्धि का आरम्भ ये है: तू बुद्धि प्राप्त कर, चाहे सब कुछ दे कर भी तू उसे प्राप्त कर! तू समझबूझ प्राप्त कर।
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नीतिवचन 4:18-19
किन्तु धर्मी का पथ वैसा होता है जैसी प्रात: किरण होती है। जो दिन की परिपूर्णता तक अपने प्रकाश में बढ़ती ही चली जाती है। किन्तु पापी का मार्ग सघन, अन्धकार जैसा होता है। वे नहीं जान पाते कि किससे टकराते हैं।
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नीतिवचन 4:6
बुद्धि मत त्याग वह तेरी रक्षा करेगी, उससे प्रेम कर वह तेरा ध्यान रखेगी।
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नीतिवचन 4:13
शिक्षा को थामे रह, उसे तू मत छोड़। इसकी रखवाली कर। यही तेरा जीवन है।
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नीतिवचन 4:14
तू दुष्टों के पथ पर चरण मत रख या पापी जनों की राह पर मत चल।
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नीतिवचन 4:1
हे मेरे पुत्रों, एक पिता की शिक्षा को सुनों उस पर ध्यान दो और तुम समझ बूझ पा लो!
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