“थाँकामूँ कूण अस्यो हे ज्यो मेल बणाणो छावे अन पेली बेटन वींके खरचा को हस्याबूँ ने लगावे के, वींने बणाबा में कतरो खरचो लागी वो ‘मारा नके हे के ने हे?’ कटे अस्यान ने वे के, वो नीम भर दे अन वींने पूरो ने कर सके तो, जणा वींने ओ करतो तको देक्यो हे, ओ हारोई देकन वींकी रोळ करी अन केई के, ‘अरे देको अणी मनक ईंने बणाणो सरू तो किदो पण ईंने पूरो ने कर सक्यो।’