“मूसा का नेमा ने हिकाबावाळाऊँ हूँस्यार रेवो, ज्याँने लाम्बा-लाम्बा कुरता पेरणा घणा हव लागे हे अन ज्याँने बजाराँ में नमस्कार अन मोटी-मोटी सबा में ऊँचा-ऊँचा आसन अन जीमणा में ऊँची जगाँ पे बेटणो घणो हव लागे हे। वाँ लुगई जिंको धणी सान्त वेग्यो, वाँको धन कोसबो छावे हे। वीं दिकाबा का वाते मोटी परातना करे। वाँ मनकाँ ने घणी कल्ड़ी सजा मेली।”