अरह् देई कोऊवे चंच्चैटू का खयाल करह्, से ना तअ किऐ बाँदें-बोंदे, अरह् ना किऐ लुण्दे-सलाँदें, तिन के ना तअ कुँठार-कुँठारी आथी, अरह् ना किऐ खल़ा-खल़ियाँन आथी; तबे भे पंण्मिश्वर तिन कैई शो खाँणों खे खियाँव; तबे भे तुऐं तअ तिनू कोऊँवे-चंच्चैटू शे कैथी जादा बड़ियों असो।