“तबे से बीऊँजियों आप्णें बाबा के घरह् के ढबे चाल पड़ा, अरह् से घरह् शा दुरका ही थिया; के तैस्के बाबा ऐं तैसी दुर्के शा ही दें:खी पाया, अरह् सेजा बाबा दया-रंय्म शा भर गुवा; अरह् तेने बीच़्ड़ियों ज़ाऐयों, तैसी आप्णें बैटे दी हंगाल़ दिती, अरह् तैसी खुप्टाऐ-खुप्टाऐयों पाया।