ईन्देंखे बीऊँजी रंह्, किन्देंखे के तुँऐं ने जाँण्दे के घर का मालिक कबे अरह् कोसी बख्तो आँदा, संदो आरी, आधी रात्ती, के झ़ीषो, के कुक्ड़े के बाँक देणो शा आगे, के भेंयाँसरंह् दा झुल्मूली आरी आला। कदी ऐशो ने हऐयों चैईं, के से ऐकदम अचाँणक आऐयों तुँओं नींज़ौ दे सुत्ती दे:ख्ला। अरह् जुण्जों मुँऐ तुँओं खे बुली लो, सेजो ही हाँव सोभी खे बुलू के “बीऊँजी रंह्।”