जिन्ऐ बिश्वाष करी थुवा, तिनदी चींन-चंम्त्तकार दे:खाणों की शक्त्ति देऐ ज़ाली, अरह् से मेरे नाँव शी दुष्ट-आत्त्मा गाड़ले, अरह् से नंई-नंई भाषा दी बातो कर्ले। से शोगाव आप्णे हाथो दे ऊबे थागले, अरह् जे से किऐ बिष्लो-बीष भे पीले तअ भे तिनके किऐ ने ज़ालो, अरह् जे से बीमाँरो गाशी आप्णें हाथ थह्ले, तअ सेजे बीमार भे आछे अरह् चाँगे हले।”