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यूहन्ना 15:5
उर्दू हमअस्र तरजुमा
“अंगूर की बेल में हूं और तुम मेरी शाख़ें हो। जो मुझ में क़ाइम रहता है और में उस में वह ख़ूब फल लाता है; मुझ से जुदा होकर तुम कुछ नहीं कर सकते।
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यूहन्ना 15:4
तुम मुझ में क़ाइम रहो तो में भी तुम में क़ाइम रहूंगा। कोई शाख़ अपने आप फल नहीं लाती; उस शाख़ का अंगूर की बेल से पैवस्ता रहना लाज़िम है। तुम भी मुझ में क़ाइम रहे बग़ैर फल नहीं ला सकते।
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यूहन्ना 15:7
अगर तुम मुझ में क़ाइम रहोगे और मेरा कलाम तुम्हारे दिल में क़ाइम रहेगा, तो जो चाहो मांगो, वह तुम्हें दिया जायेगा।
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यूहन्ना 15:16
तुम ने मुझे नहीं चुन, बल्के मैंने तुम्हें चुन और मुक़र्रर किया है ताके तुम जा कर फल लाओ ऐसा फल जो क़ाइम रहे ताके जो कुछ तुम मेरा नाम ले कर बाप से मांगोगे वह तुम्हें अता करेगा।
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यूहन्ना 15:13
इस से ज़्यादा महब्बत कोई नहीं करता: अपनी जान अपने दोस्तों के लिये क़ुर्बान कर दे।
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यूहन्ना 15:2
मेरी जो शाख़ फल नहीं लाती वह उसे काट डालता है, और जो फल लाती है उसे तराशता है ताके वह ज़्यादा फल लाये।
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यूहन्ना 15:12
मेरा हुक्म ये है के जैसे मैंने तुम से महब्बत रख्खी तुम भी एक दूसरे से महब्बत रखो।
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यूहन्ना 15:8
मेरे बाप का जलाल इस में है, के जिस तरह तुम बहुत सा फल लाते हो, और ऐसा करना तुम्हारे शागिर्द होने की दलील है।
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यूहन्ना 15:1
“मैं अंगूर की हक़ीक़ी बेल हूं, और मेरा बाप बाग़बान है।
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यूहन्ना 15:6
अगर तुम मुझ में क़ाइम नहीं रहते हो, तो उस शाख़ की तरह हो जो दूर फेंक दी जाती और सूख जाती है; ऐसी शाख़ें जमा कर के, आग में झोंकी और जिला दी जाती हैं।
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यूहन्ना 15:11
मैंने ये बातें तुम्हें इसलिये बताई हैं के मेरी ख़ुशी तुम में हो और तुम्हारी ख़ुशी पूरी हो जाये।
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यूहन्ना 15:10
जिस तरह मैंने अपने बाप के हुक्मों पर अमल किया है, और उन की महब्बत में क़ाइम हूं, उसी तरह अगर तुम भी मेरे अहकाम बजा लाओगे तो मेरी महब्बत में क़ाइम रहोगे।
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यूहन्ना 15:17
मैं तुम्हें हुक्म देता हूं: आपस में महब्बत रखो।
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यूहन्ना 15:19
अगर तुम दुनिया के होते, तो ये दुनिया तुम्हें अपनों की तरह अज़ीज़ रखती। लेकिन अब तुम, दुनिया के नहीं हो क्यूंके मैंने तुम्हें चुन कर दुनिया से अलैहदा कर दिया है। यही वजह है के दुनिया तुम से दुश्मनी रखती है।
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