तनिक समय तक तो, ओहर अदावेंन कर बात ला नई सुनीस, तेकर फेर ओहर अपन मन में सोंचीस, कि मंए तो परमेस्वर ला नई डराओं, अऊ कोनो मईनसे मन कर परवाह नई करों, तबो ले ए अदावेंन हर मोके ढेरेच तंग करथे। एकरे ले मंए ओकर बात में धियान देहूं, कि ओके ला नियाओ मिले, काबरकि ओहर घरी-घरी बिनती कएर के मोके ला ढेरेच परेसान करथे।”