“कानहूंन कर सिखोईया मन ले सवाचेती रईहा, ओमन रोंट-रोंट ओढ़ना पहिर के, इते-ऊते बूले बर चाहथें, अऊ ओमन बजार में मरजाद कर संगे जोहार चाहथें, अऊ धरम सभा में मुख आसन में बईठे बर, अऊ खाए कर जुआर ओमन माएन-मरजाद कर जघा में बईठे बर पतियाथें। ओमन अदावेंन मन कर धन संपती ला लुईट लेथें, अऊ दूसर के देखाए बर, ढेरेच जुआर ले पराथना करथें, ओमन ढेरेच बड़खा दंड पाहीं।”