जब हुनुका टक लगाके स्वरगवरि येसुजि जाइकि हेरइ रहलइ, तखनहिँ गोरहर लुगा पेहरल दु जन मन्से यरमरका हुनुकर लघिना देखा परलइ, हसे हुनुकाके कहलइ, अरे गालिल छेतरक मन्सावाह, “तोहरा केहके स्वरगवरि हेरते यहवाँ ठडियलि बडह? जसने तोहरा येसुजिके स्वरगमा लिगाइकि देखलह, वसनेहिँ हुने फिरके फेरि यबसि।”