अर मि पिता बटि बिन्ती करलु, अर उ तुमतै एक और मददगार द्यालु, याने कि सच्चै को आत्मा। अर उ सदनि तुमरा दगड़ा मा रालु। अर दुनियां का लोग वेतैं स्वीकार नि कैरी सकदिन, किलैकि ऊ नऽ त वेतैं दिखदिन अर ना ही जणदिन। पर तुम वेतैं जणदा छाँ, किलैकि उ तुमरा दगड़ा मा रौन्दु च अर उ तुम मा होलु।