“शास्त्रियों बटि बचि के रयां, किलैकि यों तैं लम्बा-लम्बा चोळा पैरि के घूमण अच्छु लगदु, अर बजारों मा लोगु द्वारा नमस्कार सुनण भि यों तैं अच्छु लगदु। अर उन्नि यों तैं प्रार्थना भवनों मा मुख्य जगा अर दावत का बगत मा आदर-सम्मान वळी जगा चयेन्दी। मगर मि तुमतै बतै देन्दु, कि यू विधवाओं का घौर पर कब्जा कैरी देन्दिन, अर लोगु तैं दिखाणु खुणि भौत देर तक प्रार्थना कना रौनदिन। पर यों तैं भौत कड़क सजा मिलण।”