अर यीशु न भीड़ का लोगु कू इन भि बोलि कि, “जब तुम उपवास रखिल्या, त ढोंगि लोगु की तरौं तुमरा मुख पर उदासी नि हो, किलैकि ऊ अपणु मुख इन्द्रयो इलै बणै के रखदिन, ताकि लोग समझि जा कि ऊंको उपवास रख्युं च। पर मि तुम बटि सच्चि बोन्नु छौ, कि लोगु बटि त ऊंतैं आदर-सम्मान मिली गै, मगर पिता परमेस्वर बटि ऊंतैं कुछ इनाम नि मिलण। मगर जब तू उपवास रखलि, त अपणा मुख तैं ध्वे अर मुण्ड़ पर तेल लगै, अर इन कैरिके तू पिता परमेस्वर की नजर मा उपवास रखण वळु ठैरीलि, ना कि मनखियों की नजर मा। किलैकि परमेस्वर जु कि दिखेन्दु त नि च, मगर छिप्यां कामों तैं भि देखि सकदु च, त्वेतै यां को इनाम जरुर द्यालु।”