‘जे आदमीके ठिन जाएके कहो, सुनन त तुम सुनत हओ, पर कभु नाए समखत हओ, देखन त तुम देखत हओं, पर कभु नाए देख पएहओ! कहीके जे आदमीनको मन कठोर हुइगओ हए, और इनके कान बहिरा हुइगए हएं, और बे अपनी आँखी मिचे हएं! नत बे आँखीसे दिख्ते, कानसे सुन्ते और मनसे बुझ्ते और परमेश्वर घेन घुम्ते और बिनके मए अच्छो करतो।’