मैहर दाऊ ले बिनती करहू, अउ ओहर तुमन मन बर एक अउ सहायक देही, कि ओहर हमेसेच बर तुमन मन कर संग रही। मने कि सत्य कर आत्मा, जेला जगत हर गरहन नी करे सकही, काबर कि ओहर न ओला देखथे अउ न ओला जानथे: तुमन मन ओला जानथा, काबर कि ओहर तुमन मन कर संग मे रहथे, अउ ओहर तुमन मन मे होही।