ओहिच कस अब तुमन मन ला भी दुख है, लेकिन मैहर तुमन मन ले फिर मिलहु अउ तुमन मन कर मन हर आनन्द ले भईर जाही; अउ तुमन मन कर आनन्द ला कोनोच हर लुईट नी सकही। ओ दिन तुमन मन मोर ले कुछ भी नी पूछिहा; मैहर तुमन मन ले सहिच-सहिच कहथो, अगर दाऊ ले कुछ मांगिहा, त ओहर मोर नाव मे तुमन मन ला देही।