ख़ैर, मैं अपनी ज़िंदगी को किसी तरह भी अहम नहीं समझता। अहम बात सिर्फ़ यह है कि मैं अपना वह मिशन और ज़िम्मादारी पूरी करूँ जो ख़ुदावंद ईसा ने मेरे सुपुर्द की है। और वह ज़िम्मादारी यह है कि मैं लोगों को गवाही देकर यह ख़ुशख़बरी सुनाऊँ कि अल्लाह ने अपने फ़ज़ल से उनके लिए क्या कुछ किया है।