उसने क़सम खाकर कहा, “अगर रब मेरे साथ हो, सफ़र पर मेरी हिफ़ाज़त करे, मुझे खाना और कपड़ा मुहैया करे और मैं सलामती से अपने बाप के घर वापस पहुँचूँ तो फिर वह मेरा ख़ुदा होगा। जहाँ यह पत्थर सतून के तौर पर खड़ा है वहाँ अल्लाह का घर होगा, और जो भी तू मुझे देगा उसका दसवाँ हिस्सा तुझे दिया करूँगा।”