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लूक़ा 10:19
किताब-ए मुक़द्दस
देखो, मैंने तुमको साँपों और बिछुओं पर चलने का इख़्तियार दिया है। तुमको दुश्मन की पूरी ताक़त पर इख़्तियार हासिल है। कुछ भी तुमको नुक़सान नहीं पहुँचा सकेगा।
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लूक़ा 10:41-42
लेकिन ख़ुदावंद ईसा ने जवाब में कहा, “मर्था, मर्था, तू बहुत-सी फ़िकरों और परेशानियों में पड़ गई है। लेकिन एक बात ज़रूरी है। मरियम ने बेहतर हिस्सा चुन लिया है और यह उससे छीना नहीं जाएगा।”
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लूक़ा 10:27
आदमी ने जवाब दिया, “‘रब अपने ख़ुदा से अपने पूरे दिल, अपनी पूरी जान, अपनी पूरी ताक़त और अपने पूरे ज़हन से प्यार करना।’ और ‘अपने पड़ोसी से वैसी मुहब्बत रखना जैसी तू अपने आपसे रखता है’।”
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लूक़ा 10:2
उसने उनसे कहा, “फ़सल बहुत है, लेकिन मज़दूर थोड़े। इसलिए फ़सल के मालिक से दरख़ास्त करो कि वह फ़सल काटने के लिए मज़ीद मज़दूर भेज दे।
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लूक़ा 10:36-37
फिर ईसा ने पूछा, “अब तेरा क्या ख़याल है, डाकुओं की ज़द में आनेवाले आदमी का पड़ोसी कौन था? इमाम, लावी या सामरी?” आलिम ने जवाब दिया, “वह जिसने उस पर रहम किया।” ईसा ने कहा, “बिलकुल ठीक। अब तू भी जाकर ऐसा ही कर।”
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लूक़ा 10:3
अब रवाना हो जाओ, लेकिन ज़हन में यह बात रखो कि तुम भेड़ के बच्चों की मानिंद हो जिन्हें मैं भेड़ियों के दरमियान भेज रहा हूँ।
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