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1 कुरिन्थियों 1

1
अभिवादन
1कुरिन्‍थुस नगर में परमेश्‍वर की कलीसिया के नाम पौलुस का, जो परमेश्‍वर की इच्‍छा द्वारा येशु मसीह का प्रेरित होने के लिए बुलाया गया है, और भाई सोस्‍थेनेस का पत्र।#प्रे 18:17 2आप लोग येशु मसीह द्वारा पवित्र किये गये हैं और उन सब के साथ सन्‍त बनने के लिए बुलाये गये हैं, जो कहीं भी हमारे प्रभु येशु मसीह-अर्थात अपने तथा हमारे प्रभु-का नाम लेते हैं।#1 कुर 6:11; प्रे 9:14
3हमारा पिता परमेश्‍वर और प्रभु येशु मसीह आप लोगों को अनुग्रह तथा शान्‍ति प्रदान करें।#रोम 1:7
धन्‍यवाद
4आप को येशु मसीह द्वारा परमेश्‍वर का अनुग्रह प्राप्‍त हुआ है। इसके लिए मैं अपने परमेश्‍वर को निरन्‍तर धन्‍यवाद देता हूँ। 5-6मसीह का संदेश#1:5-6 अथवा, “साक्षी”। आपके बीच इस प्रकार दृढ़ हो गया है कि आप मसीह से संयुक्‍त हो कर, अभिव्यक्‍ति और ज्ञान के सब प्रकार के वरदानों से सम्‍पन्न हो गये हैं। 7अत: आप में किसी कृपादान की कमी नहीं है और अब आप हमारे प्रभु येशु मसीह के प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।#लू 17:30; 2 थिस 1:7; तीत 2:13 8परमेश्‍वर अन्‍त तक आप लोगों को विश्‍वास में सुदृढ़ बनाये रखेगा, जिससे आप हमारे प्रभु येशु मसीह के दिन निर्दोष पाये जायें।#फिल 1:6; 1 थिस 3:13; 5:23 9परमेश्‍वर सत्‍यप्रतिज्ञ है। उसी ने आप लोगों को अपने पुत्र हमारे प्रभु येशु मसीह के सहभागी बनने के लिए बुलाया है।#1 थिस 5:24; 1 यो 1:3
दलबन्‍दी
10भाइयो और बहिनो! हमारे प्रभु येशु मसीह के नाम पर मैं आप लोगों से यह अनुरोध करता हूँ-आप लोग एकमत हो कर दलबन्‍दी से दूर रहें। आप एक-दूसरे से मेल-मिलाप करें और हृदय तथा मन से पूर्ण रूप से एक हो जायें।#फिल 1:2; 3:16 11ओ मेरे भाइयो-बहिनो! खलोए के घर वालों से मुझे पता चला कि आप लोगों में फूट पड़ गयी है। 12मेरे कहने का तात्‍पर्य यह है कि आप में से कोई कहता है, “मैं पौलुस का हूँ” ; कोई कहता है, “मैं अपुल्‍लोस का हूँ” ; तीसरा कहता है, “मैं कैफा का हूँ” और कोई कहता है, “मैं तो मसीह का हूँ।”#प्रे 18:24-27; 1 कुर 3:4; यो 1:42 13क्‍या मसीह खण्‍ड-खण्‍ड हो गये हैं? क्‍या पौलुस आप लोगों के लिए क्रूस पर मारे गये थे? क्‍या आप लोगों को पौलुस के नाम पर बपतिस्मा मिला है? 14परमेश्‍वर को धन्‍यवाद कि मैंने क्रिस्‍पुस और गायुस को छोड़ कर आप लोगों में से किसी को बपतिस्‍मा नहीं दिया!#प्रे 18:8; रोम 16:23 15इसलिए कोई यह नहीं कह सकता कि आप को पौलुस के नाम पर बपतिस्‍मा मिला है। 16हाँ! मैंने स्‍तिफनास के परिवार को भी बपतिस्‍मा दिया। जहाँ तक मुझे स्‍मरण है, मैंने इनके अतिरिक्‍त किसी को बपतिस्‍मा नहीं दिया; 17क्‍योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्‍मा देने नहीं, बल्‍कि शुभ समाचार का प्रचार करने भेजा है। मैंने इस कार्य के लिए सांसारिक ज्ञान से परिपूर्ण भाषा का उपयोग नहीं किया, जिससे मसीह के क्रूस के सन्‍देश का प्रभाव फीका न पड़े।#यो 4:2; मत 28:19
क्रूस की शिक्षा
18जो विनाश के मार्ग पर चलते हैं, वे क्रूस की शिक्षा को ‘मूर्खता’ समझते हैं। किन्‍तु हम लोगों के लिए, जो मुक्‍ति के मार्ग पर चलते हैं, वह परमेश्‍वर का सामर्थ्य है;#2 कुर 4:3; रोम 1:16 19क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ में लिखा है, “मैं ज्ञानियों का ज्ञान नष्‍ट करूंगा और समझदारों की समझ व्‍यर्थ कर दूँगा।”#यश 29:14 (यू. पाठ) 20हम में इस संसार के ज्ञानी, शास्‍त्री और दार्शनिक कहाँ है? क्‍या परमेश्‍वर ने इस संसार के ज्ञान को मूर्खतापूर्ण नहीं प्रमाणित किया है?#अय्‍य 12:17; यश 19:12; 33:18 21परमेश्‍वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्‍वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्‍वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्‍वासियों को बचाना चाहा।#मत 11:25; लू 8:12; प्रज्ञ 13:1-9 22यहूदी चमत्‍कार माँगते और यूनानी ज्ञान चाहते हैं,#मत 12:38; यो 4:48; प्रे 17:18,32 23किन्‍तु हम क्रूसित मसीह का ही प्रचार करते हैं। यह यहूदियों के विश्‍वास में बाधा है और गैर-यहूदियों के लिए ‘मूर्खता’।#1 कुर 2:14; रोम 9:32 24किन्‍तु परमेश्‍वर के चुने हुए लोगों के लिए, चाहे वे यहूदी हों या यूनानी, यही मसीह परमेश्‍वर का सामर्थ्य और परमेश्‍वर की प्रज्ञ है;#कुल 2:3 25क्‍योंकि परमेश्‍वर की ‘मूर्खता’ मनुष्‍यों के ज्ञान से अधिक विवेकपूर्ण और परमेश्‍वर की ‘दुर्बलता’ मनुष्‍यों की शक्‍ति से अधिक शक्‍तिशाली है।#2 कुर 13:4
26भाइयो और बहिनो! इस बात पर विचार कीजिए कि बुलाये जाते समय संसार की दृष्‍टि में आप लोगों में से बहुत कम लोग ज्ञानी, शक्‍तिशाली अथवा कुलीन थे।#मत 11:25; यो 7:48; याक 2:1-5 27ज्ञानियों को लज्‍जित करने के लिए परमेश्‍वर ने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में मूर्ख हैं। शक्‍तिशालियों को लज्‍जित करने के लिए उसने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में दुर्बल हैं। 28गण्‍य-माण्‍य लोगों का घमण्‍ड चूर करने के लिए उसने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में तुच्‍छ, नीच और नगण्‍य हैं, 29जिससे कोई भी निरा मनुष्‍य परमेश्‍वर के सामने गर्व न करे।#रोम 3:27; इफ 2:9 30उसी परमेश्‍वर के वरदान से आप लोग येशु मसीह के अंग बन गये हैं। परमेश्‍वर ने मसीह को हमारा ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और पापमुक्‍ति बना दिया है।#यिर 23:5-6; 2 कुर 5:21; यो 17:19 31इसलिए, जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है, “यदि कोई गर्व करना चाहे, तो वह प्रभु पर गर्व करे।”#यिर 9:23-24

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