1 पतरस 2
2
जीवंत पत्थर और पवित्र राष्ट्र
1आप लोग हर प्रकार की बुराई, छल-कपट, पाखण्ड, ईष्र्या और परनिन्दा को सर्वथा छोड़ दें।#इफ 4:22; याक 1:21 2-3आप लोगों ने अनुभव किया है#2:2-3 शब्दश:, “इसका स्वाद चखा है”। कि प्रभु कितना भला है;#1 कुर 3:2; इब्र 5:12-13; मत 18:3 इसलिए नवजात शिशुओं की तरह शुद्ध वचन-रूपी दूध के लिए तरसते रहें, जो मुक्ति प्राप्त करने के लिए आपका पोषण करेगा।#भज 34:8
4प्रभु वह जीवन्त पत्थर हैं, जिसे मनुष्यों ने तो बेकार समझ कर निकाल दिया, किन्तु जो परमेश्वर द्वारा चुना हुआ और उसकी दृष्टि में मूल्यवान् है। आप उनके पास आयें#भज 118:22; यश 28:16; मत 21:42; प्रे 4:11 5और जीवन्त पत्थरों के समान आत्मिक भवन में निर्मित हो जाएं। इस प्रकार आप पवित्र पुरोहित-वर्ग बन कर ऐसी आत्मिक बलि चढ़ा सकेंगे, जो येशु मसीह द्वारा परमेश्वर को स्वीकार हो। #इफ 2:21-22; रोम 12:1 6इसलिए धर्मग्रन्थ में यह लेख है, “मैं सियोन में एक चुना हुआ मूल्यवान् कोने का पत्थर#2:6 अथवा, “केन्द्र शिला”। रखता हूँ और जो उस पर विश्वास करेगा, उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।”#यश 28:16 (यू. पाठ); रोम 9:33
7आप लोगों के लिए, जो विश्वास करते हैं, वह पत्थर मूल्यवान् है। जो विश्वास नहीं करते, उनके लिए धर्मग्रन्थ यह कहता है, “कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने की नींव बन गया है।”#भज 118:22; मत 21:42 8और यह भी लिखा है, “वह ऐसा पत्थर है जिससे लोगों को ठेस लगती है, ऐसी चट्टान है जिससे वे ठोकर खाते हैं।” वे वचन पर विश्वास करना नहीं चाहते, इसलिए वे ठोकर खा कर गिर जाते हैं। यही उनकी नियति है।#यश 8:14; रोम 9:33
9परन्तु आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय पुरोहित-वर्ग, पवित्र राष्ट्र तथा परमेश्वर की अपनी निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसी के महान् कार्यों की घोषणा करें, जो आप लोगों को अन्धकार में से निकाल कर अपनी अलौकिक ज्योति में बुला लाया है।#यश 43:20 (यू. पाठ); नि 19:6; प्रे 26:18; 2 कुर 4:6; इफ 5:8; फिल 2:15; प्रक 1:6 10पहले आप प्रजा नहीं थे, अब आप परमेश्वर की प्रजा हैं। पहले आप कृपा से वंचित थे, अब आप उसके कृपापात्र हैं।#हो 1:6,9; 2:1,23; रोम 9:25
परमेश्वर के सेवक
11प्रिय भाइयो एवं बहिनो#2:11 मूल में “प्यारो”।, आप परदेशी और प्रवासी हैं, इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी शारीरिक वासनाओं का दमन करें, जो आत्मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं।#भज 39:12; गल 5:17,24; इफ 2:19; याक 4:1 12अन्यधर्मियों के बीच आप लोगों का आचरण निर्दोष हो। इस प्रकार जो अब आप को कुकर्मी कहकर आपकी निन्दा करते हैं, वे आपके सत्कर्मों को देख कर कृपा-दिवस#2:12 अथवा, “न्याय-दिवस”। पर परमेश्वर की स्तुति करेंगे।#यश 10:3; मत 5:16; याक 3:13
13आप लोग प्रभु के कारण हर प्रकार के मानवीय शासकों की अधीनता स्वीकार करें-चाहे वह अधीनता सम्राट् की हो, जिसके पास सर्वोपरि अधिकार है;#रोम 13:1-7; तीत 3:1 14चाहे वह राज्यपालों की हो, जो कुकर्मियों के दण्ड तथा सत्कर्मियों की प्रशंसा के लिए सम्राट् द्वारा नियुक्त किये जाते हैं। 15परमेश्वर चाहता है कि आप अपने अच्छे कामों के द्वारा अनर्गल बातें करने वाले मुर्खों का मुँह बन्द कर दें।#1 पत 3:16 16आप लोग स्वतन्त्र व्यक्तियों की तरह आचरण करें; किन्तु स्वतन्त्रता की आड़ में बुराई न करें, बल्कि परमेश्वर के सेवकों की तरह आचरण करें।#गल 5:13 17सब मनुष्यों का सम्मान करें। भाई-बहिनों से प्रेम करें, परमेश्वर पर श्रद्धा रखें और सम्राट् का सम्मान करें।#रोम 12:10; नीति 24:21; मत 22:11
मसीह के दु:खभोग का उदाहरण
18जो सेवक हैं, वे न केवल अच्छे और सहृदय स्वामियों की, बल्कि कठोर स्वामियों की भी अधीनता आदरपूर्वक स्वीकार करें।#इफ 6:5; तीत 2:9 19कारण, यदि कोई व्यक्ति धैर्य से दु:ख भोगता और अन्याय सहता है, क्योंकि वह समझता है कि परमेश्वर यही चाहता है, तो यह पुण्य की बात है। 20यदि आप अपनी भूल-चूक के कारण मार खाते और धैर्य रखते हों, तो इसमें क्या बड़ी बात हुई? किंतु सत्कर्म करने के बाद भी यदि आप को दु:ख भोगना पड़ता है और आप उसे धैर्य से सहते हैं, तो यह परमेश्वर की दृष्टि में पुण्य की बात है।#1 पत 3:14,17; 4:13-14; मत 5:10
21इसलिए तो आप बुलाये गये हैं, क्योंकि मसीह ने आप लोगों के लिए दु:ख भोगा और आप को उदाहरण दिया, जिससे आप उनके पद-चिह्नों पर चलें।#मत 16:24; यो 13:15 22उन्होंने कोई पाप नहीं किया और उनके मुख से कभी छल-कपट की बात नहीं निकली।#यश 53:9; यो 8:46; 2 कुर 5:21 23जब उन्हें गाली दी गयी, तो उन्होंने उत्तर में गाली नहीं दी और जब उन्हें सताया गया, तो उन्होंने धमकी नहीं दी। उन्होंने अपने को उसी पर छोड़ दिया, जो न्यायपूर्वक विचार करता है। 24वह अपने शरीर में हमारे पापों को क्रूस के काठ पर ले गये, जिससे हम पाप के लिए मृत हो कर धार्मिकता के लिए जीने लगें। आप उनके घावों द्वारा स्वस्थ हो गये हैं।#यश 53:12; 1 यो 3:5; रोम 6:11; इब्र 9:28 25आप लोग भेड़ों की तरह भटक गये थे, किन्तु अब आप अपनी आत्मा के चरवाहे तथा रक्षक के पास लौट आये हैं।#यश 53:6 (यू पाठ); यहेज 34:5; 1 पत 5:4; यो 10:12
Currently Selected:
1 पतरस 2: HINCLBSI
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
1 पतरस 2
2
जीवंत पत्थर और पवित्र राष्ट्र
1आप लोग हर प्रकार की बुराई, छल-कपट, पाखण्ड, ईष्र्या और परनिन्दा को सर्वथा छोड़ दें।#इफ 4:22; याक 1:21 2-3आप लोगों ने अनुभव किया है#2:2-3 शब्दश:, “इसका स्वाद चखा है”। कि प्रभु कितना भला है;#1 कुर 3:2; इब्र 5:12-13; मत 18:3 इसलिए नवजात शिशुओं की तरह शुद्ध वचन-रूपी दूध के लिए तरसते रहें, जो मुक्ति प्राप्त करने के लिए आपका पोषण करेगा।#भज 34:8
4प्रभु वह जीवन्त पत्थर हैं, जिसे मनुष्यों ने तो बेकार समझ कर निकाल दिया, किन्तु जो परमेश्वर द्वारा चुना हुआ और उसकी दृष्टि में मूल्यवान् है। आप उनके पास आयें#भज 118:22; यश 28:16; मत 21:42; प्रे 4:11 5और जीवन्त पत्थरों के समान आत्मिक भवन में निर्मित हो जाएं। इस प्रकार आप पवित्र पुरोहित-वर्ग बन कर ऐसी आत्मिक बलि चढ़ा सकेंगे, जो येशु मसीह द्वारा परमेश्वर को स्वीकार हो। #इफ 2:21-22; रोम 12:1 6इसलिए धर्मग्रन्थ में यह लेख है, “मैं सियोन में एक चुना हुआ मूल्यवान् कोने का पत्थर#2:6 अथवा, “केन्द्र शिला”। रखता हूँ और जो उस पर विश्वास करेगा, उसे निराश नहीं होना पड़ेगा।”#यश 28:16 (यू. पाठ); रोम 9:33
7आप लोगों के लिए, जो विश्वास करते हैं, वह पत्थर मूल्यवान् है। जो विश्वास नहीं करते, उनके लिए धर्मग्रन्थ यह कहता है, “कारीगरों ने जिस पत्थर को बेकार समझ कर निकाल दिया था, वही कोने की नींव बन गया है।”#भज 118:22; मत 21:42 8और यह भी लिखा है, “वह ऐसा पत्थर है जिससे लोगों को ठेस लगती है, ऐसी चट्टान है जिससे वे ठोकर खाते हैं।” वे वचन पर विश्वास करना नहीं चाहते, इसलिए वे ठोकर खा कर गिर जाते हैं। यही उनकी नियति है।#यश 8:14; रोम 9:33
9परन्तु आप लोग चुने हुए वंश, राजकीय पुरोहित-वर्ग, पवित्र राष्ट्र तथा परमेश्वर की अपनी निजी प्रजा हैं, जिससे आप उसी के महान् कार्यों की घोषणा करें, जो आप लोगों को अन्धकार में से निकाल कर अपनी अलौकिक ज्योति में बुला लाया है।#यश 43:20 (यू. पाठ); नि 19:6; प्रे 26:18; 2 कुर 4:6; इफ 5:8; फिल 2:15; प्रक 1:6 10पहले आप प्रजा नहीं थे, अब आप परमेश्वर की प्रजा हैं। पहले आप कृपा से वंचित थे, अब आप उसके कृपापात्र हैं।#हो 1:6,9; 2:1,23; रोम 9:25
परमेश्वर के सेवक
11प्रिय भाइयो एवं बहिनो#2:11 मूल में “प्यारो”।, आप परदेशी और प्रवासी हैं, इसलिए मैं आप से अनुरोध करता हूँ कि आप अपनी शारीरिक वासनाओं का दमन करें, जो आत्मा के विरुद्ध संघर्ष करती हैं।#भज 39:12; गल 5:17,24; इफ 2:19; याक 4:1 12अन्यधर्मियों के बीच आप लोगों का आचरण निर्दोष हो। इस प्रकार जो अब आप को कुकर्मी कहकर आपकी निन्दा करते हैं, वे आपके सत्कर्मों को देख कर कृपा-दिवस#2:12 अथवा, “न्याय-दिवस”। पर परमेश्वर की स्तुति करेंगे।#यश 10:3; मत 5:16; याक 3:13
13आप लोग प्रभु के कारण हर प्रकार के मानवीय शासकों की अधीनता स्वीकार करें-चाहे वह अधीनता सम्राट् की हो, जिसके पास सर्वोपरि अधिकार है;#रोम 13:1-7; तीत 3:1 14चाहे वह राज्यपालों की हो, जो कुकर्मियों के दण्ड तथा सत्कर्मियों की प्रशंसा के लिए सम्राट् द्वारा नियुक्त किये जाते हैं। 15परमेश्वर चाहता है कि आप अपने अच्छे कामों के द्वारा अनर्गल बातें करने वाले मुर्खों का मुँह बन्द कर दें।#1 पत 3:16 16आप लोग स्वतन्त्र व्यक्तियों की तरह आचरण करें; किन्तु स्वतन्त्रता की आड़ में बुराई न करें, बल्कि परमेश्वर के सेवकों की तरह आचरण करें।#गल 5:13 17सब मनुष्यों का सम्मान करें। भाई-बहिनों से प्रेम करें, परमेश्वर पर श्रद्धा रखें और सम्राट् का सम्मान करें।#रोम 12:10; नीति 24:21; मत 22:11
मसीह के दु:खभोग का उदाहरण
18जो सेवक हैं, वे न केवल अच्छे और सहृदय स्वामियों की, बल्कि कठोर स्वामियों की भी अधीनता आदरपूर्वक स्वीकार करें।#इफ 6:5; तीत 2:9 19कारण, यदि कोई व्यक्ति धैर्य से दु:ख भोगता और अन्याय सहता है, क्योंकि वह समझता है कि परमेश्वर यही चाहता है, तो यह पुण्य की बात है। 20यदि आप अपनी भूल-चूक के कारण मार खाते और धैर्य रखते हों, तो इसमें क्या बड़ी बात हुई? किंतु सत्कर्म करने के बाद भी यदि आप को दु:ख भोगना पड़ता है और आप उसे धैर्य से सहते हैं, तो यह परमेश्वर की दृष्टि में पुण्य की बात है।#1 पत 3:14,17; 4:13-14; मत 5:10
21इसलिए तो आप बुलाये गये हैं, क्योंकि मसीह ने आप लोगों के लिए दु:ख भोगा और आप को उदाहरण दिया, जिससे आप उनके पद-चिह्नों पर चलें।#मत 16:24; यो 13:15 22उन्होंने कोई पाप नहीं किया और उनके मुख से कभी छल-कपट की बात नहीं निकली।#यश 53:9; यो 8:46; 2 कुर 5:21 23जब उन्हें गाली दी गयी, तो उन्होंने उत्तर में गाली नहीं दी और जब उन्हें सताया गया, तो उन्होंने धमकी नहीं दी। उन्होंने अपने को उसी पर छोड़ दिया, जो न्यायपूर्वक विचार करता है। 24वह अपने शरीर में हमारे पापों को क्रूस के काठ पर ले गये, जिससे हम पाप के लिए मृत हो कर धार्मिकता के लिए जीने लगें। आप उनके घावों द्वारा स्वस्थ हो गये हैं।#यश 53:12; 1 यो 3:5; रोम 6:11; इब्र 9:28 25आप लोग भेड़ों की तरह भटक गये थे, किन्तु अब आप अपनी आत्मा के चरवाहे तथा रक्षक के पास लौट आये हैं।#यश 53:6 (यू पाठ); यहेज 34:5; 1 पत 5:4; यो 10:12
Currently Selected:
:
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.