YouVersion Logo
Search Icon

व्‍यवस्‍था-विवरण 33

33
मूसा का इस्राएली समाज को आशीर्वाद देना #उत 49
1जो आशीर्वाद परमेश्‍वर के प्रियजन मूसा ने अपनी मृत्‍यु के पूर्व इस्राएली समाज को दिया था, वह यह है। 2मूसा ने कहा,
‘प्रभु सीनय पर्वत से आया,
वह सेईर देश से हम पर उदित हुआ,
वह पारन पर्वत से प्रकाशवान हुआ।
वह लाखों पवित्र प्राणियों के मध्‍य से
आया।
उसके दाहिने हाथ में ज्‍वालामय अग्‍नि#33:2 अथवा, ‘अग्‍निमय विधि’
थी।#नि 19:18; शास 5:4; हब 3:3
3प्रभु ने निश्‍चय ही सभी लोगों से प्रेम
किया था;
उसके पवित्र जन उसकी रक्षा में थे;
अत: वे उसके कदमों पर चले थे;
उसके वचनों से उन्‍हें मार्गदर्शन प्राप्‍त
हुआ था।
4याकूब के कुलों के पैतृक अधिकार के लिए
मैंने तुम्‍हें एक व्‍यवस्‍था प्रदान की है।
5जब इस्राएल के कुल एकत्र हुए थे,
इस्राएली लोगों के मुखिया जमा हुए थे,
तब प्रभु को यशूरून#33:5 देखिए 32:15 पर। में राजा घोषित किया
गया।’
6‘रूबेन का कुल न मरे, पर वह जीवित रहे!
उसके कुल के लोग अल्‍प संख्‍यक न हों।’
7मूसा ने यहूदा कुल के विषय में यह कहा,
‘हे प्रभु, यहूदा कि वाणी सुन!
उसको उसके अपने भाइयों के पास लौटा
ला।
अपने हाथों से उसके लिए संघर्ष कर,
उसके बैरियों के आक्रमण के समय उसका
सहायक बन।’
8मूसा ने लेवी कुल के विषय में यह कहा,
‘हे प्रभु,
लेवी कुल को अपना तुम्‍मीम,
अपने भक्‍त को अपना ऊरीम दे;#33:8 देखिए नि 28:30 की टिप्‍पणी।
जिसको तूने मस्‍सा स्‍थान पर परखा था,
जिसके साथ तूने मरीबा जलाशय पर
विवाद किया था; #नि 28:30
9जिसने अपने माता-पिता के विषय में कहा था,
“मैंने उनको नहीं देखा।”
लेवी ने तेरे लिए अपने भाइयों को अस्‍वीकार
कर दिया था,
उसने अपने बच्‍चों तक को नहीं पहचाना
था।
वह तेरे शब्‍दों को ध्‍यान देता था,
तेरे विधान का दृढ़ता से पालन करता था।#मत 10:37; 12:48; नि 32:26
10वह याकूब को तेरे न्‍याय-सिद्धान्‍त,
और इस्राएल को तेरी व्‍यवस्‍था सिखाएगा।
वह तेरे सम्‍मुख धूप-द्रव्‍य जलाएगा,
और तेरी वेदी पर सम्‍पूर्ण अग्‍नि-बलि
रखेगा।
11हे प्रभु, उसकी योग्‍यता को आशिषमय कर,
उसके सेवा-कार्यों को स्‍वीकार कर।
उसके बैरियों की,
उससे घृणा करनेवालों की कमर तोड़ दे
कि वे फिर उठ न सकें।’
12मूसा ने बिन्‍यामिन कुल के विषय में यह कहा,
‘यह प्रभु का प्रियजन है।
यह प्रभु के पास निरापद निवास करता है।
प्रभु इसको दिन भर घेरे रहता है।
वह इसकी दोनों पहाड़ियों के मध्‍य निवास
करता है।’
13मूसा ने यूसुफ कुल के विषय में यह कहा,
‘प्रभु ने इसके देश को आशिष दी है।
ऊपर आकाश की सर्वोत्तम भेंट,
नीचे गहरे झरनों का जल इसे प्राप्‍त है,
14सूर्य के द्वारा पकाए गए सर्वोत्तम फल,
और वह समृद्ध फसल जो मौसम के
अनुसार उपजती है;
15प्राचीन पहाड़ों का सर्वोत्तम उत्‍पादन,
और शाश्‍वत पहाड़ियों की प्रचुर वनोपज,
16यूसुफ को पृथ्‍वी की श्रेष्‍ठतम वस्‍तुएँ
और उसकी परिपूर्णता उपलब्‍ध है,
झाड़ी#33:16 पाठांतर, ‘सीनय’। में निवास करनेवाले प्रभु की अनुकम्‍पा
उस पर है।
यूसुफ पर,
जो अपने भाइयों का मुकुट है,
उसके सिर पर इन आशिषों की वर्षा हो।#नि 3:2,4
17वह पहिलौठे#33:17 मूल में, ‘उसका पहिलौठा’ सांड़ के सदृश महाबलवान
है।
जैसे जंगली भैंसे के सींगों में अपार शक्‍ति
होती है,
वैसे उसमें है।
वह अपनी शक्‍ति रूपी सींग के द्वारा
शत्रु पक्ष के लोगों को पृथ्‍वी के सीमान्‍तों
तक खदेड़ देगा।
एफ्रइम वंश के लाखों पुरुष,
मनश्‍शे वंश के हजारों लोग
ऐसे शक्‍तिशाली हैं!’
18मूसा ने जबूलून कुल के विषय में यह कहा,
‘ओ जबूलून, व्‍यापार के उद्देश्‍य से की गई
जल-यात्रा में,
ओ इस्‍साकार, अपनी थल-यात्रा में आनन्‍द
मना।
19वे लोगों को पहाड़ पर आमंत्रित करेंगे,
वहाँ वे सफलता के लिए धर्ममय बलि
चढ़ाएंगे।
क्‍योंकि वे समुद्र के प्रचुर धन से,
रेतकणों में छिपी सम्‍पत्ति से लाभ कमाते
हैं।’
20मूसा ने गाद कुल के विषय में यह कहा,
‘धन्‍य है प्रभु, जो गाद का राज्‍यक्षेत्र बढ़ाता
है।
सिंह के सदृश गाद लेटता है!
वह शिकार की बांह चीरता,
उसके सिर को फाड़ता है।
21उसने अपने लिए देश का सर्वोत्तम भाग
चुना है,
क्‍योंकि वहाँ उसके लिए सेनापति का भाग
आरक्षित था।
वह इस्राएली कुलों का नेता बन कर आया।
उसने प्रभु के धर्म को पूरा किया,
और इस्राएली समाज से उसके न्‍याय
सिद्धान्‍तों का पालन कराया।’
22मूसा ने दान कुल के विषय में यह कहा,
‘दान सिंह का बच्‍चा है!
वह बाशान प्रदेश से कूदता है।’
23मूसा ने नफ्‍ताली कुल के विषय में यह कहा,
‘ओ नफ्‍ताली! तू प्रभु की अनुकम्‍पा से
सन्‍तुष्‍ट,
और उसकी आशिषों से भरपूर है।
गन्नेसरत झील और दक्षिणी क्षेत्र पर तेरा
अधिकार है।’
24मूसा ने आशेर कुल के विषय में यह कहा,
‘आशेर अपने भाइयों में सर्वाधिक धन्‍य हो।
उस पर अन्‍य भाइयों की अनुकम्‍पा हो।
उसके क्षेत्र में जैतून तेल की नदियां बहें।
25तेरे द्वार की सिटकनी
लोहे और पीतल की हो।
तेरी आयु के अन्‍त तक
तेरी शक्‍ति बनी रहे।
26‘यशूरून के परमेश्‍वर के सदृश
और कोई ईश्‍वर नहीं है।
वह तेरी सहायता के लिए आकाश के मध्‍य
से,
मेघों के बीच से
गौरव में भरा, सवार होकर आता है!#नि 15:11; भज 68:4; हब 3:8
27शाश्‍वत परमेश्‍वर तेरा आश्रय है;
उसकी शाश्‍वत बाहें तेरा सहारा हैं।
उसने तेरे सम्‍मुख से तेरे शत्रुओं को निकाला है।
उसने ही तुझे यह आदेश दिया,
“उन्‍हें नष्‍ट कर दो!” #भज 90:1
28इस्राएल निरापद निवास करता है।
याकूब के पुत्र अन्न और अंगूर के देश में
एकान्‍त में शत्रुओं से सुरक्षित हैं।
वहां आकाश ओस की वर्षा करता है।#गण 23:9; यिर 23:6
29ओ इस्राएल, तू धन्‍य है!
तेरे सदृश और कौन जाति है,
जिसका प्रभु ने उद्धार किया है?
वह तेरी सहायता के लिए ढाल,
और विजय-प्राप्‍ति के हेतु तलवार है!
तेरे शत्रु तेरी ठकुर-सुहाती करेंगे,
पर तू उनके पहाड़ी शिखर के
पूजा-स्‍थलों को रौंद देगा।’#भज 144:15

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in