YouVersion Logo
Search Icon

एस्‍तर 9

9
यहूदियों का प्रतिरोध और प्रतिशोध
1अदार नामक बारहवें महीने का तेरहवां दिन आया। इस दिन सम्राट क्षयर्ष की राजाज्ञा और आदेश-पत्र के अनुसार कार्य होना था। यहूदी कौम के शत्रु आशा कर रहे थे कि वे आज यहूदियों पर अधिकार कर लेंगे।
लेकिन पासा पलट गया था, और स्‍वयं यहूदी अपने विरोधियों पर अधिकार जमा लेने वाले थे।#2 शम 22:41
2सम्राट क्षयर्ष के अधीन समस्‍त प्रदेशों के नगरों में रहने वाले यहूदी एकत्र हुए, और उन्‍होंने अनिष्‍ट करनेवालों पर आक्रमण करने के लिए दल बनाए। कोई भी शत्रु उनके सामने ठहर न सका; क्‍योंकि सब जातियों पर उनका भय छा गया था। 3सब प्रदेशों के शासकों, क्षत्रपों, राज्‍यपालों और सम्राट के उच्‍चाधिकारियों ने यहूदियों की सहायता की; क्‍योंकि मोरदकय का भय उन पर भी छाया हुआ था।
4मोरदकय सम्राट के शाही परिवार में बड़ा प्रभावशाली व्यक्‍ति था। उसकी कीर्ति साम्राज्‍य के सब प्रदेशों में फैल गई। वह दिन-प्रतिदिन शक्‍तिशाली होता जा रहा था। 5अत: यहूदियों ने अपने शत्रुओं को तलवार से मौत के घाट उतार दिया। उन्‍होंने उनका संहार और सर्वनाश किया। उन्‍होंने अपने बैरियों से, जो उनसे घृणा करते थे, मनमाना व्‍यवहार किया। 6साम्राज्‍य की राजधानी शूशन में यहूदियों ने पांच सौ पुरुषों को मार डाला। 7-10उन्‍होंने यहूदियों के शत्रु हामान बेन-हम्‍मदाता के इन दस पुत्रों का वध कर दिया: पर्शन्‍दाता, दलफोन, अस्‍पाता, पोराता, अदल्‍या, अरीदाता, पर्मशता, अरीसय, अरीदय और वयजाता। परन्‍तु यहूदियों ने हामान की धन-सम्‍पत्ति नहीं लूटी।
11राजधानी शूशन में यहूदियों द्वारा मारे गए लोगों की संख्‍या उसी दिन सम्राट क्षयर्ष को बताई गई 12तब सम्राट ने रानी एस्‍तर से कहा, ‘राजधानी में यहूदियों ने पाँच सौ लोगों का और हामान के दस पुत्रों का वध कर दिया। तब न मालूम उन्‍होंने साम्राज्‍य के अन्‍य प्रदेशों में क्‍या किया होगा! महारानी, अब आप का और क्‍या निवेदन है? वह भी स्‍वीकार किया जाएगा। आप और क्‍या मांगती हैं? आपकी मांग पूरी की जाएगी।’
13एस्‍तर ने कहा, ‘यदि महाराज को यह उचित प्रतीत हो, तो शूशन नगर के यहूदियों को अनुमति दी जाए कि वे आज के समान कल भी अपने शत्रुओं का वध कर सकें। हामान के दस पुत्रों के शवों को फांसी के खम्‍भों पर लटकाया जाए।’ 14सम्राट ने आदेश दिया, ‘ऐसा ही किया जाएगा।’ शूशन नगर में तत्‍काल एक राजाज्ञा घोषित की गई, और हामान के दस पुत्रों के शवों को फांसी के खम्‍भों पर लटका दिया गया। 15शूशन नगर में रहने वाले यहूदियों ने अदार महीने के चौदहवें दिन भी एकत्र होकर सुरक्षा-दल बनाए, और शूशन नगर में तीन सौ पुरुषों का वध कर दिया, पर उन्‍होंने उनकी धन-सम्‍पत्ति नहीं लूटी।
पूरीम पर्व की स्‍थापना
16साम्राज्‍य के अधीन अन्‍य प्रदेशों में रहने वाले यहूदियों ने सुरक्षा-दल बनाकर अपने-अपने प्राणों की रक्षा की, और अपने शत्रुओं से छुटकारा पाकर चैन की सांस ली। उन्‍होंने अपने पचहत्तर हजार बैरियों का, जो उनसे घृणा करते थे, वध कर दिया, पर उन्‍होंने उनकी धन-सम्‍पत्ति नहीं लूटी। 17यह कार्य उन्‍होंने अदार महीने के तेरहवें दिन सम्‍पन्न किया था। उन्‍होंने चौदहवें दिन विश्राम किया, और उस दिन सामूहिक भोज और आनन्‍द-उत्‍सव मनाया।
18किन्‍तु शूशन नगर के यहूदियों ने तेरहवें और चौदहवें दिन एकत्र होकर सुरक्षा-दल बनाए थे और पन्‍द्रहवें दिन विश्राम किया था। अत: उन्‍होंने पन्‍द्रहवें दिन सामूहिक भोज और आनन्‍द-उत्‍सव मनाया। 19इसलिए गांवों में रहने वाले यहूदी, जो बिना शहरपनाह के कस्‍बों में रहते हैं, अदार महीने के चौदहवें दिन को आनन्‍द, भोज, और छुट्टी का दिन मानते हैं। वे इस दिन अपने सर्वोत्तम भोजन का कुछ अंश एक-दूसरे को भेजते हैं।#प्रक 11:10; नह 8:10-12
20मोरदकय ने इन घटनाओं का विवरण लिखा, और सम्राट क्षयर्ष के अधीन, दूर और पास के प्रदेशों में रहने वाले सब यहूदियों को पत्र भेज दिए। 21उसने उन्‍हें आदेश दिया कि वे प्रति वर्ष अदार महीने के चौदहवें तथा पन्‍द्रहवें दिन उत्‍सव मनाएं; 22क्‍योंकि इन दिवसों पर यहूदियों ने अपने शत्रुओं से छुटकारा पाकर चैन की सांस ली थी। इस महीने में उनका दु:ख, सुख में; और उनका शोक, हर्ष में बदल गया था। अत: यहूदियों को चाहिए कि वे इन दिनों को सामूहिक भोज और आनन्‍द-उत्‍सव के दिन मानें। वे इन दिनों में अपने सर्वोत्तम भोजन का कुछ अंश एक-दूसरे को भेजें तथा गरीबों को दान दें।#भज 30:11
23अत: यहूदी इसी प्रकार यह पर्व मनाने लगे, जिसको वे पहले मनाना आरम्‍भ कर चुके थे और जैसा कि मोरदकय ने उन्‍हें यह लिखा था: 24‘अगाग वंशीय हामान बेन-हम्‍मदाता ने, जो यहूदियों का शत्रु था, यहूदियों का विनाश करने के लिए एक षड्‍यन्‍त्र रचा था, और “पूर” अर्थात् चिट्ठी डाली थी ताकि वह उनको पूर्णत: कुचल दे, उनका पूर्ण विनाश कर दे।#एस 3:7 25पर जब एस्‍तर सम्राट क्षयर्ष के सम्‍मुख प्रस्‍तुत हुई तब सम्राट ने यह लिखित राजाज्ञा प्रसारित की : “जो अनिष्‍टकारी षड्‍यन्‍त्र हामान ने यहूदियों के विरुद्ध रचा है, उसका प्रतिफल स्‍वयं हामान के सिर पर पड़े। हामान और उसके पुत्र फांसी-स्‍तम्‍भों पर लटका दिए जाएं” ।’ 26यहूदियों ने ‘पूर’ शब्‍द के अनुसार इन दिनों का नाम ‘पूरीम’ रखा। इस पत्र की बातों के कारण और इसके अतिरिक्‍त यहूदियों ने स्‍वयं अपनी आंखों से जो देखा था, उसके कारण, एवं यहूदियों को जो अनुभव हुआ था, उसके कारण 27यहूदियों ने यह निश्‍चय किया कि वे स्‍वयं, तथा उनके वंशज एवं नवदीिक्षत यहूदी मोरदकय के पत्रानुसार प्रति वर्ष निर्धारित दो दिनों तक पर्व मनाएंगे और पर्व मनाने में कभी नहीं चूकेंगे। 28प्रत्‍येक पीढ़ी में हर एक परिवार में, ये दिन सब देशों और नगरों में स्‍मरण किए जाएंगे, और मनाए जाएंगे। पूरीम के दिन यहूदियों में कभी भुलाए न जाएंगे, और उनके वंशजों में उनका स्‍मरण सदा सुरक्षित रहेगा।
29रानी एस्‍तर, जो अबीहइल की पुत्री थी, तथा यहूदी मोरदकय ने पूरीम उत्‍सव के सम्‍बन्‍ध में दूसरा पत्र लिखा और यह पत्र लिखकर उसको प्रामाणिक ठहराया।
30इस प्रकार मोरदकय ने सम्राट क्षयर्ष के अधीन एक सौ सत्ताईस प्रदेशों के रहने वाले यहूदियों को कल्‍याण और सत्‍यनिष्‍ठा की कामना करते हुए पत्र लिखे। 31उनमें यही लिखा था: निर्धारित दिनों में, जिनको यहूदी मोरदकय और रानी एस्‍तर ने निश्‍चित किया है, पूरीम का पर्व मनाया जाएगा − जैसा यहूदियों ने स्‍वयं के लिए तथा अपने वंश के लिए ठहराया कि वे इन दिनों में सामूहिक उपवास और शोक मनाएंगे। 32यों रानी एस्‍तर ने भी ‘पूरीम पर्व’ की धार्मिक विधियों को निश्‍चित कर दिया और उन्‍हें पुस्‍तक में लिख लिया गया।

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in