निर्गमन 1
1
मिस्र देश में इस्राएलियों की दुर्दशा
1इस्राएल अर्थात् याकूब के पुत्रों के नाम, जो अपने पिता के साथ अपने-अपने परिवार सहित मिस्र देश में आए थे, ये हैं :#उत 46:8 2रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा, 3इस्साकार, जबूलून, बिन्यामिन, 4दान, नफ्ताली, गाद और आशेर। 5याकूब के ही वंश में उत्पन्न व्यक्ति कुल सत्तर थे। यूसुफ पहले से ही मिस्र देश में था।#व्य 10:22 6यूसुफ और उसके सब भाई एवं उस पीढ़ी के समस्त व्यक्ति मर गए।#उत 50:26 7किन्तु इस्राएल के वंशज फलवन्त हुए। वे अत्यन्त बढ़ गए। उनकी संख्या में भारी वृद्धि हुई और वे शक्तिशाली हो गए। उनसे समस्त देश भर गया।#भज 105:24; प्रे 7:17; 13:17
8मिस्र देश में एक नया राजा हुआ, जो यूसुफ को नहीं जानता था। 9उसने अपनी प्रजा से कहा, ‘देखो, इस्राएली लोग कितने अधिक बढ़ गए हैं। वे हमसे अधिक शक्तिशाली हो गए हैं। 10आओ, हम उनसे चतुराई से व्यवहार करें। ऐसा न हो कि वे बढ़ते जाएं और जब हम पर युद्ध आ पड़े तब वे हमारे बैरियों से जा मिलें, हमारे विरुद्ध लड़ें और देश से भाग जाएं।’#प्रे 7:19
11उन्होंने इस्राएलियों पर बेगार कराने वाले अधिकारियों को नियुक्त किया कि वे उन पर भारी बोझ डाल कर उन्हें पीड़ित करें। इस प्रकार इस्राएली लोगों ने फरओ के लिए पितोम और रामसेस नामक भण्डारगृह के नगरों का निर्माण किया।#उत 47:11 12किन्तु जितना अधिक उन्हें पीड़ित किया गया उतना अधिक वे बढ़ते और फैलते गए। मिस्र के निवासी इस्राएलियों से और घृणा करने लगे। 13वे इस्राएली लोगों से कठोरता से बेगार करवाने लगे। 14उन्होंने ईंट-गारा और खेती सम्बन्धी सब कामों में इस्राएली लोगों से कठोर बेगार#1:14 अथवा, ‘गुलामी’। करवा कर उनका जीवन कड़वा बना डाला। वे अपने प्रत्येक कार्य में उनसे कठोर बेगार करवाते थे।
15मिस्र देश के राजा ने इब्रानी दाइयों को, जिनमें एक का नाम शिफ्रा और दूसरी का नाम पूआ था, आदेश दिया, 16‘जब तुम इब्रानी स्त्रियों का प्रसव करवाने जाओ और उन्हें प्रसव-शिला पर देखो तब यदि लड़के का जन्म हुआ हो, तो उसे मार डालना; किन्तु यदि लड़की हो तो उसे जीवित रहने देना।’ 17परन्तु दाइयां परमेश्वर से डरती थीं। अत: उन्होंने मिस्र देश के राजा के आदेशानुसार नहीं किया। उन्होंने लड़कों को जीवित रहने दिया। 18मिस्र देश के राजा ने दाइयों को बुलाकर उनसे पूछा, ‘तुमने यह कार्य क्यों किया? क्यों लड़कों को जीवित रहने दिया?’ 19दाइयों ने फरओ को उत्तर दिया, ‘इब्रानी स्त्रियां, मिस्र देश की स्त्रियों के समान नहीं हैं। वे फुरतीली होती हैं और दाइयों के पहुंचने के पूर्व ही बच्चों को जन्म दे देती हैं।’ 20परमेश्वर ने दाइयों के साथ भला किया। इस्राएली और बढ़कर अत्यन्त बलवान हो गए। 21दाइयां परमेश्वर से डरती थीं। इसलिए परमेश्वर ने उन्हें परिवार प्रदान किए। 22फरओ ने अपनी समस्त प्रजा को आदेश दिया, ‘तुम इब्रानियों से उत्पन्न सब लड़कों को नील नदी में फेंक देना, किन्तु लड़कियों को जीवित रहने देना।’
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निर्गमन 1: HINCLBSI
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
निर्गमन 1
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मिस्र देश में इस्राएलियों की दुर्दशा
1इस्राएल अर्थात् याकूब के पुत्रों के नाम, जो अपने पिता के साथ अपने-अपने परिवार सहित मिस्र देश में आए थे, ये हैं :#उत 46:8 2रूबेन, शिमोन, लेवी, यहूदा, 3इस्साकार, जबूलून, बिन्यामिन, 4दान, नफ्ताली, गाद और आशेर। 5याकूब के ही वंश में उत्पन्न व्यक्ति कुल सत्तर थे। यूसुफ पहले से ही मिस्र देश में था।#व्य 10:22 6यूसुफ और उसके सब भाई एवं उस पीढ़ी के समस्त व्यक्ति मर गए।#उत 50:26 7किन्तु इस्राएल के वंशज फलवन्त हुए। वे अत्यन्त बढ़ गए। उनकी संख्या में भारी वृद्धि हुई और वे शक्तिशाली हो गए। उनसे समस्त देश भर गया।#भज 105:24; प्रे 7:17; 13:17
8मिस्र देश में एक नया राजा हुआ, जो यूसुफ को नहीं जानता था। 9उसने अपनी प्रजा से कहा, ‘देखो, इस्राएली लोग कितने अधिक बढ़ गए हैं। वे हमसे अधिक शक्तिशाली हो गए हैं। 10आओ, हम उनसे चतुराई से व्यवहार करें। ऐसा न हो कि वे बढ़ते जाएं और जब हम पर युद्ध आ पड़े तब वे हमारे बैरियों से जा मिलें, हमारे विरुद्ध लड़ें और देश से भाग जाएं।’#प्रे 7:19
11उन्होंने इस्राएलियों पर बेगार कराने वाले अधिकारियों को नियुक्त किया कि वे उन पर भारी बोझ डाल कर उन्हें पीड़ित करें। इस प्रकार इस्राएली लोगों ने फरओ के लिए पितोम और रामसेस नामक भण्डारगृह के नगरों का निर्माण किया।#उत 47:11 12किन्तु जितना अधिक उन्हें पीड़ित किया गया उतना अधिक वे बढ़ते और फैलते गए। मिस्र के निवासी इस्राएलियों से और घृणा करने लगे। 13वे इस्राएली लोगों से कठोरता से बेगार करवाने लगे। 14उन्होंने ईंट-गारा और खेती सम्बन्धी सब कामों में इस्राएली लोगों से कठोर बेगार#1:14 अथवा, ‘गुलामी’। करवा कर उनका जीवन कड़वा बना डाला। वे अपने प्रत्येक कार्य में उनसे कठोर बेगार करवाते थे।
15मिस्र देश के राजा ने इब्रानी दाइयों को, जिनमें एक का नाम शिफ्रा और दूसरी का नाम पूआ था, आदेश दिया, 16‘जब तुम इब्रानी स्त्रियों का प्रसव करवाने जाओ और उन्हें प्रसव-शिला पर देखो तब यदि लड़के का जन्म हुआ हो, तो उसे मार डालना; किन्तु यदि लड़की हो तो उसे जीवित रहने देना।’ 17परन्तु दाइयां परमेश्वर से डरती थीं। अत: उन्होंने मिस्र देश के राजा के आदेशानुसार नहीं किया। उन्होंने लड़कों को जीवित रहने दिया। 18मिस्र देश के राजा ने दाइयों को बुलाकर उनसे पूछा, ‘तुमने यह कार्य क्यों किया? क्यों लड़कों को जीवित रहने दिया?’ 19दाइयों ने फरओ को उत्तर दिया, ‘इब्रानी स्त्रियां, मिस्र देश की स्त्रियों के समान नहीं हैं। वे फुरतीली होती हैं और दाइयों के पहुंचने के पूर्व ही बच्चों को जन्म दे देती हैं।’ 20परमेश्वर ने दाइयों के साथ भला किया। इस्राएली और बढ़कर अत्यन्त बलवान हो गए। 21दाइयां परमेश्वर से डरती थीं। इसलिए परमेश्वर ने उन्हें परिवार प्रदान किए। 22फरओ ने अपनी समस्त प्रजा को आदेश दिया, ‘तुम इब्रानियों से उत्पन्न सब लड़कों को नील नदी में फेंक देना, किन्तु लड़कियों को जीवित रहने देना।’
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