यशायाह 27
27
इस्राएल की मुक्ति और उसका एकत्र होना
1उस दिन प्रभु अपनी मजबूत, कठोर
और विशाल तलवार से
वेगवान, वक्र सर्पासुर लिव्यातान को दण्ड
देगा,
वह समुद्र में रहने वाले जल-पशु का वध
करेगा।#भज 74:13
2उस दिन तुम
सुन्दर अंगूर-उद्यान के विषय में यह गीत
गाना :#यश 5:1-7
3“मैं-प्रभु इस उद्यान का रखवाला हूं;
मैं बार-बार इसे पानी से सींचता हूं,
ऐसा न होकि इसके पत्ते मुरझाएँ :
मैं दिन-रात इसकी रक्षा करता हूं।
4मुझ में अब कोप नहीं रहा।
यदि मैं कंटीले झाड़-झंखाड़ पाऊंगा,
तो मैं उसके विरुद्ध युद्ध छेड़ दूंगा,
मैं उन-सब को भस्म कर दूंगा।
5अथवा यदि वे मेरी छत्र-छाया में शरण लेना
चाहें
तो वे मेरे साथ शान्ति स्थापित करें।
वे मुझसे मेल-मिलाप करें।”
6आगामी दिनों में
याकूब राष्ट्र जड़ पकड़ेगा,
इस्राएल देश पुष्पित होगा,
उसमें शाखाएँ फूटेंगी,
वह अपने फलों से समस्त संसार को भर
देगा।
7क्या प्रभु ने इस्राएलियों को
उतना दण्ड दिया है,
जितना उसने उन राष्ट्रों को दिया था,
जिन्होंने इस्राएलियों को मारा था?
क्या प्रभु ने इस्राएलियों का
उतना ही वध किया है,
जितना उनके वधिकों का किया था?
8नहीं, प्रभु ने उन्हें थोड़ा-थोड़ा ताड़ित किया;
उन्हें अपने देश से निर्वासित कर दंडित
किया।
जिस समय पूर्वी पवन बह रहा था,
उसने उन्हें अपनी प्रचण्ड वायु से खदेड़
दिया।
9अत: याकूब के अधर्म का प्रायश्चित यों
किया जाएगा,
उसके पाप के विमोचन का यह परिणाम
होगा :
वह चूना बनाने के पत्थरों की तरह
वेदियों के सब पत्थरों को चूर-चूर करेगा;
अशेराह देवी की मूर्तियाँ
और सूर्य देवता के स्तम्भ खड़े नहीं रहेंगे।
10किलाबन्द नगर सुनसान है,
आबाद नगर उजड़ गया,
निर्जन प्रदेश की तरह
लोगों ने उसको छोड़ दिया।
अब वहाँ पशुओं का रेवड़ चरता है;
वह वहाँ बैठता है,
और पौधों की डालियाँ तोड़ता है।
11वृक्ष की डालियाँ सूख गईं;
वे टूट गईं
स्त्रियाँ आती हैं,
और उनसे आग जलाती हैं।
यह एक विवेकहीन कौम है;
अत: उसका सृजक उस पर दया नहीं करेगा;
उनको रचनेवाला उन पर कृपा नहीं करेगा।
12उस दिन प्रभु
फरात नदी से मिस्र की बरसाती नदी तक
अन्न को फटकेगा;
तब तुम, ओ इस्राएलियो,
अनाज के दाने के समान
एक-एक व्यक्ति इकठ्टे किए जाओगे।
13उस दिन महा नरसिंगा फूंका जाएगा।
तब जो इस्राएली असीरिया देश में खो गए थे,
और जो मिस्र देश को खदेड़ दिए गए थे,
वे सब आएंगे,
और यरूशलेम नगर में,
पवित्र पर्वत पर प्रभु की आराधना करेंगे।#मत 24:31; 1 कुर 15:52; 1 थिस 4:16
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यशायाह 27: HINCLBSI
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
यशायाह 27
27
इस्राएल की मुक्ति और उसका एकत्र होना
1उस दिन प्रभु अपनी मजबूत, कठोर
और विशाल तलवार से
वेगवान, वक्र सर्पासुर लिव्यातान को दण्ड
देगा,
वह समुद्र में रहने वाले जल-पशु का वध
करेगा।#भज 74:13
2उस दिन तुम
सुन्दर अंगूर-उद्यान के विषय में यह गीत
गाना :#यश 5:1-7
3“मैं-प्रभु इस उद्यान का रखवाला हूं;
मैं बार-बार इसे पानी से सींचता हूं,
ऐसा न होकि इसके पत्ते मुरझाएँ :
मैं दिन-रात इसकी रक्षा करता हूं।
4मुझ में अब कोप नहीं रहा।
यदि मैं कंटीले झाड़-झंखाड़ पाऊंगा,
तो मैं उसके विरुद्ध युद्ध छेड़ दूंगा,
मैं उन-सब को भस्म कर दूंगा।
5अथवा यदि वे मेरी छत्र-छाया में शरण लेना
चाहें
तो वे मेरे साथ शान्ति स्थापित करें।
वे मुझसे मेल-मिलाप करें।”
6आगामी दिनों में
याकूब राष्ट्र जड़ पकड़ेगा,
इस्राएल देश पुष्पित होगा,
उसमें शाखाएँ फूटेंगी,
वह अपने फलों से समस्त संसार को भर
देगा।
7क्या प्रभु ने इस्राएलियों को
उतना दण्ड दिया है,
जितना उसने उन राष्ट्रों को दिया था,
जिन्होंने इस्राएलियों को मारा था?
क्या प्रभु ने इस्राएलियों का
उतना ही वध किया है,
जितना उनके वधिकों का किया था?
8नहीं, प्रभु ने उन्हें थोड़ा-थोड़ा ताड़ित किया;
उन्हें अपने देश से निर्वासित कर दंडित
किया।
जिस समय पूर्वी पवन बह रहा था,
उसने उन्हें अपनी प्रचण्ड वायु से खदेड़
दिया।
9अत: याकूब के अधर्म का प्रायश्चित यों
किया जाएगा,
उसके पाप के विमोचन का यह परिणाम
होगा :
वह चूना बनाने के पत्थरों की तरह
वेदियों के सब पत्थरों को चूर-चूर करेगा;
अशेराह देवी की मूर्तियाँ
और सूर्य देवता के स्तम्भ खड़े नहीं रहेंगे।
10किलाबन्द नगर सुनसान है,
आबाद नगर उजड़ गया,
निर्जन प्रदेश की तरह
लोगों ने उसको छोड़ दिया।
अब वहाँ पशुओं का रेवड़ चरता है;
वह वहाँ बैठता है,
और पौधों की डालियाँ तोड़ता है।
11वृक्ष की डालियाँ सूख गईं;
वे टूट गईं
स्त्रियाँ आती हैं,
और उनसे आग जलाती हैं।
यह एक विवेकहीन कौम है;
अत: उसका सृजक उस पर दया नहीं करेगा;
उनको रचनेवाला उन पर कृपा नहीं करेगा।
12उस दिन प्रभु
फरात नदी से मिस्र की बरसाती नदी तक
अन्न को फटकेगा;
तब तुम, ओ इस्राएलियो,
अनाज के दाने के समान
एक-एक व्यक्ति इकठ्टे किए जाओगे।
13उस दिन महा नरसिंगा फूंका जाएगा।
तब जो इस्राएली असीरिया देश में खो गए थे,
और जो मिस्र देश को खदेड़ दिए गए थे,
वे सब आएंगे,
और यरूशलेम नगर में,
पवित्र पर्वत पर प्रभु की आराधना करेंगे।#मत 24:31; 1 कुर 15:52; 1 थिस 4:16
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