यशायाह 53
53
1जो हमने सुना, उस पर कौन विश्वास
करेगा?
किस पर प्रभु का भुजबल प्रकट हुआ?#यो 12:38; रोम 10:16
2प्रभु का सेवक एक नन्हा पौधा-जैसा
उसके सम्मुख उगा;
वह जड़ के सदृश शुष्क भूमि से फूटा।
उसमें न रूप था, और न आकर्षण
कि हम उसे देखते;
उसमें सुन्दरता भी न थी,
कि हम उसकी कामना करते।
3लोगों ने उससे घृणा की;
उन्होंने उसको त्याग दिया।
वह दु:खी मनुष्य था,
केवल पीड़ा#53:3 अथवा, ‘रोग’। से उसकी पहचान थी।
उसको देखते ही लोग अपना मुख फेर लेते थे।
हम ने उससे घृणा की
और उसका मूल्य नहीं जाना।
4निस्सन्देह उसने हमारी पीड़ा को सहा,
और हमारे दु:खों को भोगा।
फिर भी हमने समझा
कि परमेश्वर ने उसे घायल किया है,
उसे दु:खी और पीड़ित किया है।#मत 8:17; 1 पत 2:24
5किन्तु वह हमारे पापों के कारण घायल हुआ;
वह हमारे दुष्कर्मों के कारण आहत हुआ।
उसने अपने शरीर पर ताड़ना-स्वरूप
मार सही,
और उसकी मार से हमारा कल्याण हुआ।
उसने कोड़े खाए, जिससे हम स्वस्थ हुए।#गल 3:13; रोम 4:25
6हम-सब भटकी हुई भेड़ों के सदृश थे;
प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने मार्ग पर
चल रहा था।
परन्तु प्रभु ने हमारे सब दुष्कर्मों का बोझ
उस पर लाद दिया।
7वह सताया गया, उसे पीड़ित किया गया,
तोभी उसके मुंह से ‘आह’ न निकली।
जैसे मेमना वध के लिए
ले जाते समय चुप रहता है,
जैसे भेड़ ऊन कतरने वाले के सामने
शान्त रहती है,
वैसे ही वह मौन था।#प्रे 8:32; प्रक 5:6; यो 1:29
8अत्याचार और दण्ड-आज्ञा के पश्चात्
वे उसे वध के लिए ले गए।
उसकी पीढ़ी के किस व्यक्ति ने
इस बात पर ध्यान दिया
कि वह जीव-लोक से उठा लिया गया
और अपने लोगों#53:8 पाठांतर ‘मेरे लोगों’ के अपराधों के लिए
मारा गया?
9उन्होंने दुर्जनों के मध्य उसकी कबर बनाई;
एक धनवान की कबर में वह गाड़ा गया,
यद्यपि उसने कोई हिंसा नहीं की थी,
और न अपने मुंह से किसी को धोखा दिया था।#मत 27:57; 1 पत 2:22
10यह प्रभु की इच्छा थी कि वह मार सहे,
प्रभु ने उसे दु:ख से पीड़ित किया।
जब वह पाप-बलि के लिए
अपना प्राण अर्पित करता है,
तब वह अपने वंश को देखेगा;
वह दीर्घायु प्राप्त करेगा।
उसके हाथ से प्रभु की इच्छा सफल होगी।#2 कुर 5:21
11जो पीड़ा उसने अपने प्राण में सही है,
उसका फल#53:11 पाठांतर ‘ज्योति’ देखकर वह सन्तुष्ट होगा।
प्रभु कहता है : ‘मेरा धार्मिक सेवक
अपने ज्ञान के द्वारा#53:11 अथवा दूसरे शब्दक्रम में; ‘वह अपने ज्ञान के द्वारा सन्तुष्ट होगा।’ अनेक लोगों को
धार्मिक बनाएगा;
वह उनके दुष्कर्मों का फल स्वयं भोगेगा।#रोम 5:18
12अत: मैं महान व्यक्तियों के साथ
उसका भाग बांटूंगा,
और वह बलवानों के साथ “लूट” बांटेगा।
उसने मृत्यु की वेदी पर
अपना प्राण अर्पित कर दिया;
और वह अपराधियों के साथ गिना गया।
फिर भी उसने अनेक लोगों के पाप का
बोझ उठाया,
और अपराधियों के लिए प्रार्थना की।’#मक 15:28; लू 22:37; 1 पत 2:24
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यशायाह 53: HINCLBSI
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
यशायाह 53
53
1जो हमने सुना, उस पर कौन विश्वास
करेगा?
किस पर प्रभु का भुजबल प्रकट हुआ?#यो 12:38; रोम 10:16
2प्रभु का सेवक एक नन्हा पौधा-जैसा
उसके सम्मुख उगा;
वह जड़ के सदृश शुष्क भूमि से फूटा।
उसमें न रूप था, और न आकर्षण
कि हम उसे देखते;
उसमें सुन्दरता भी न थी,
कि हम उसकी कामना करते।
3लोगों ने उससे घृणा की;
उन्होंने उसको त्याग दिया।
वह दु:खी मनुष्य था,
केवल पीड़ा#53:3 अथवा, ‘रोग’। से उसकी पहचान थी।
उसको देखते ही लोग अपना मुख फेर लेते थे।
हम ने उससे घृणा की
और उसका मूल्य नहीं जाना।
4निस्सन्देह उसने हमारी पीड़ा को सहा,
और हमारे दु:खों को भोगा।
फिर भी हमने समझा
कि परमेश्वर ने उसे घायल किया है,
उसे दु:खी और पीड़ित किया है।#मत 8:17; 1 पत 2:24
5किन्तु वह हमारे पापों के कारण घायल हुआ;
वह हमारे दुष्कर्मों के कारण आहत हुआ।
उसने अपने शरीर पर ताड़ना-स्वरूप
मार सही,
और उसकी मार से हमारा कल्याण हुआ।
उसने कोड़े खाए, जिससे हम स्वस्थ हुए।#गल 3:13; रोम 4:25
6हम-सब भटकी हुई भेड़ों के सदृश थे;
प्रत्येक व्यक्ति अपने-अपने मार्ग पर
चल रहा था।
परन्तु प्रभु ने हमारे सब दुष्कर्मों का बोझ
उस पर लाद दिया।
7वह सताया गया, उसे पीड़ित किया गया,
तोभी उसके मुंह से ‘आह’ न निकली।
जैसे मेमना वध के लिए
ले जाते समय चुप रहता है,
जैसे भेड़ ऊन कतरने वाले के सामने
शान्त रहती है,
वैसे ही वह मौन था।#प्रे 8:32; प्रक 5:6; यो 1:29
8अत्याचार और दण्ड-आज्ञा के पश्चात्
वे उसे वध के लिए ले गए।
उसकी पीढ़ी के किस व्यक्ति ने
इस बात पर ध्यान दिया
कि वह जीव-लोक से उठा लिया गया
और अपने लोगों#53:8 पाठांतर ‘मेरे लोगों’ के अपराधों के लिए
मारा गया?
9उन्होंने दुर्जनों के मध्य उसकी कबर बनाई;
एक धनवान की कबर में वह गाड़ा गया,
यद्यपि उसने कोई हिंसा नहीं की थी,
और न अपने मुंह से किसी को धोखा दिया था।#मत 27:57; 1 पत 2:22
10यह प्रभु की इच्छा थी कि वह मार सहे,
प्रभु ने उसे दु:ख से पीड़ित किया।
जब वह पाप-बलि के लिए
अपना प्राण अर्पित करता है,
तब वह अपने वंश को देखेगा;
वह दीर्घायु प्राप्त करेगा।
उसके हाथ से प्रभु की इच्छा सफल होगी।#2 कुर 5:21
11जो पीड़ा उसने अपने प्राण में सही है,
उसका फल#53:11 पाठांतर ‘ज्योति’ देखकर वह सन्तुष्ट होगा।
प्रभु कहता है : ‘मेरा धार्मिक सेवक
अपने ज्ञान के द्वारा#53:11 अथवा दूसरे शब्दक्रम में; ‘वह अपने ज्ञान के द्वारा सन्तुष्ट होगा।’ अनेक लोगों को
धार्मिक बनाएगा;
वह उनके दुष्कर्मों का फल स्वयं भोगेगा।#रोम 5:18
12अत: मैं महान व्यक्तियों के साथ
उसका भाग बांटूंगा,
और वह बलवानों के साथ “लूट” बांटेगा।
उसने मृत्यु की वेदी पर
अपना प्राण अर्पित कर दिया;
और वह अपराधियों के साथ गिना गया।
फिर भी उसने अनेक लोगों के पाप का
बोझ उठाया,
और अपराधियों के लिए प्रार्थना की।’#मक 15:28; लू 22:37; 1 पत 2:24
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