यशायाह 63
63
प्रभु के प्रतिशोध का दिन
1यह कौन है जो एदोम देश से,
लाल वस्त्र पहिने हुए
बोसरा नगर से आ रहा है?
उसका पहनावा फूला हुआ है,
वह अति बलवान है।
वह झूमता हुआ चला आ रहा है।
‘यह मैं हूं,
मैं विजय की घोषणा करता हूं,
मैं मुक्त करने में समर्थ हूं।’#यश 34
2तेरे वस्त्र लाल क्यों है?
तेरी पोशाक अंगूर-रस निकालने वाले के
वस्त्र के समान लाल क्यों है?#प्रक 19:13
3‘मैंने अकेले ही रस-कुण्ड में अंगूर रौंदे हैं,
किसी भी कौम के लोग मेरे साथ नहीं थे।
मैंने क्रोध में उनको रौंदा,
मैंने प्रकोप में उन्हें कुचला।
उनके रक्त के छींटे मेरे वस्त्रों पर आ पड़े,
इससे मेरे कपड़ों पर धब्बे लग गए।#प्रक 14:20; 19:15
4मेरे हृदय में प्रतिशोध का दिन विद्यमान था,
और मेरे लोगों के छुटकारा-दिवस का वर्ष
आ गया है।
5मैंने यहाँ-वहाँ देखा,
पर मेरी सहायता करनेवाला कोई न था;
मैं चकित था;
किन्तु मुझे सहारा देने वाला कोई न था।
अत: मेरी भुजा ने ही विजय प्राप्त की,
मेरे प्रकोप ने ही मुझे सहारा दिया।
6मैंने कौमों को अपने क्रोध में रौंद डाला,
मैंने उन्हें अपने क्रोध की मदिरा पिलाई।
मैंने उनका जीवन-रक्त पृथ्वी पर उण्डेल
दिया!’
इस्राएल के प्रति प्रभु के उपकार
7जो उपकार प्रभु ने हम पर किए हैं,
उनके लिए मैं प्रभु की अपार करुणा का,
प्रभु के स्तुत्य कार्यों का, वर्णन करूंगा।
प्रभु ने इस्राएल वंश की अत्यन्त भलाई की है,
यह उसने अपने दयामय स्वभाव के कारण,
अपनी अपार करुणा के अनुरूप किया है।
8-9प्रभु ने यह कहा,
‘निस्सन्देह ये मेरे निज लोग हैं,
ये मेरे पुत्र-पुत्रियां हैं, और मुझे धोखा नहीं
देंगे।’
उनके दु:ख में प्रभु उनका उद्धारकर्ता बन
गया।#63:8-9 अथवा, ‘दु:खी हुआ’
न किसी संदेशवाहक ने, न किसी स्वर्गदूत ने
वरन् स्वयं उसकी उपस्थिति ने
उनका उद्धार किया।
प्रभु ने अपने प्रेम और दया के कारण
उन्हें छुड़ाया।
वह प्राचीनकाल से उन्हें शिशु के सदृश
गोद में उठाकर ले जा रहा है। #हो 12:4-5
10किन्तु उन्होंने प्रभु से विरोध किया,
उसके पवित्र आत्मा को दु:ख दिया।
अत: वह उनका शत्रु बन गया,
और उसने उनके विरुद्ध युद्ध किया।#व्य 32:15; इफ 4:30
11तब इस्राएली कौम को प्रभु के सेवक
मूसा का प्राचीन समय स्मरण हुआ;
उसने पूछा,
‘कहां है प्रभु, हम-भेड़ों का चरवाहा,
जिसने हमें समुद्र पार कराया था?
कहां है वह जिसने अपना पवित्र आत्मा
हमारे मध्य में भेजा था;#इब्र 13:20
12जिसने अपनी प्रतापी भुजा से
मूसा के दाहिने हाथ को
नेतृत्व के लिए सामर्थ्य प्रदान किया था;
अपने नाम को अमर करने के लिए
जिसने हमारी आंखों के सामने
समुद्र को दो भागों में विभक्त कर दिया था,#नि 14:21
13और हमें लाल सागर की गहराइयों के
उस पार ले गया?
जैसे घोड़ा बिना गिरे मरुस्थल को पार कर
जाता है
वैसे ही हमने समुद्र पार किया था।
14जैसे पालतु पशु चराई की तलाश में
घाटी में उतर जाता है,
वैसे ही प्रभु के आत्मा ने
हमारा मार्ग-दर्शन किया था।
प्रभु, तूने अपने नाम की महिमा प्रकट करने
के लिए
हमारा पथ-प्रदर्शन किया था।’
दया और सहायता के लिए प्रार्थना
15प्रभु, स्वर्ग से, अपने पवित्र और वैभवपूर्ण
निवास-स्थान से हम पर दृष्टि कर।
कहां है तेरा हमारे प्रति उत्साह?
कहाँ है तेरी शक्ति?
अपने हृदय की ललक, अपनी दया,
हम पर से मत हटा।
16यद्यपि हमारे पूर्वज अब्राहम और इस्राएल
हमें नहीं जानते, हमें नहीं पहिचानते,
तो भी तू हमारा पिता है।
प्राचीनकाल से तेरा नाम ‘हमारा मुक्तिदाता’ है,
निस्सन्देह तू ही हमारा पिता है।।
17हे प्रभु, क्यों तू
हमें अपने मार्ग से भटकाता है,
क्यों तू हमारा हृदय कठोर करता है
कि हम तुझसे न डरें?
अपनी मीरास के कुलों के लिए,
अपने सेवकों के हित में लौट आ।
18क्यों दुर्जनों ने
तेरे पवित्र स्थान पर आक्रमण किया,
क्यों हमारे बैरियों ने उसको रौंदा है?
19हमारी दशा ऐसी हो गई
मानो तूने हम पर कभी शासन नहीं किया,
हमको तूने अपने नाम से कभी बुलाया ही
नहीं।
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यशायाह 63: HINCLBSI
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Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
यशायाह 63
63
प्रभु के प्रतिशोध का दिन
1यह कौन है जो एदोम देश से,
लाल वस्त्र पहिने हुए
बोसरा नगर से आ रहा है?
उसका पहनावा फूला हुआ है,
वह अति बलवान है।
वह झूमता हुआ चला आ रहा है।
‘यह मैं हूं,
मैं विजय की घोषणा करता हूं,
मैं मुक्त करने में समर्थ हूं।’#यश 34
2तेरे वस्त्र लाल क्यों है?
तेरी पोशाक अंगूर-रस निकालने वाले के
वस्त्र के समान लाल क्यों है?#प्रक 19:13
3‘मैंने अकेले ही रस-कुण्ड में अंगूर रौंदे हैं,
किसी भी कौम के लोग मेरे साथ नहीं थे।
मैंने क्रोध में उनको रौंदा,
मैंने प्रकोप में उन्हें कुचला।
उनके रक्त के छींटे मेरे वस्त्रों पर आ पड़े,
इससे मेरे कपड़ों पर धब्बे लग गए।#प्रक 14:20; 19:15
4मेरे हृदय में प्रतिशोध का दिन विद्यमान था,
और मेरे लोगों के छुटकारा-दिवस का वर्ष
आ गया है।
5मैंने यहाँ-वहाँ देखा,
पर मेरी सहायता करनेवाला कोई न था;
मैं चकित था;
किन्तु मुझे सहारा देने वाला कोई न था।
अत: मेरी भुजा ने ही विजय प्राप्त की,
मेरे प्रकोप ने ही मुझे सहारा दिया।
6मैंने कौमों को अपने क्रोध में रौंद डाला,
मैंने उन्हें अपने क्रोध की मदिरा पिलाई।
मैंने उनका जीवन-रक्त पृथ्वी पर उण्डेल
दिया!’
इस्राएल के प्रति प्रभु के उपकार
7जो उपकार प्रभु ने हम पर किए हैं,
उनके लिए मैं प्रभु की अपार करुणा का,
प्रभु के स्तुत्य कार्यों का, वर्णन करूंगा।
प्रभु ने इस्राएल वंश की अत्यन्त भलाई की है,
यह उसने अपने दयामय स्वभाव के कारण,
अपनी अपार करुणा के अनुरूप किया है।
8-9प्रभु ने यह कहा,
‘निस्सन्देह ये मेरे निज लोग हैं,
ये मेरे पुत्र-पुत्रियां हैं, और मुझे धोखा नहीं
देंगे।’
उनके दु:ख में प्रभु उनका उद्धारकर्ता बन
गया।#63:8-9 अथवा, ‘दु:खी हुआ’
न किसी संदेशवाहक ने, न किसी स्वर्गदूत ने
वरन् स्वयं उसकी उपस्थिति ने
उनका उद्धार किया।
प्रभु ने अपने प्रेम और दया के कारण
उन्हें छुड़ाया।
वह प्राचीनकाल से उन्हें शिशु के सदृश
गोद में उठाकर ले जा रहा है। #हो 12:4-5
10किन्तु उन्होंने प्रभु से विरोध किया,
उसके पवित्र आत्मा को दु:ख दिया।
अत: वह उनका शत्रु बन गया,
और उसने उनके विरुद्ध युद्ध किया।#व्य 32:15; इफ 4:30
11तब इस्राएली कौम को प्रभु के सेवक
मूसा का प्राचीन समय स्मरण हुआ;
उसने पूछा,
‘कहां है प्रभु, हम-भेड़ों का चरवाहा,
जिसने हमें समुद्र पार कराया था?
कहां है वह जिसने अपना पवित्र आत्मा
हमारे मध्य में भेजा था;#इब्र 13:20
12जिसने अपनी प्रतापी भुजा से
मूसा के दाहिने हाथ को
नेतृत्व के लिए सामर्थ्य प्रदान किया था;
अपने नाम को अमर करने के लिए
जिसने हमारी आंखों के सामने
समुद्र को दो भागों में विभक्त कर दिया था,#नि 14:21
13और हमें लाल सागर की गहराइयों के
उस पार ले गया?
जैसे घोड़ा बिना गिरे मरुस्थल को पार कर
जाता है
वैसे ही हमने समुद्र पार किया था।
14जैसे पालतु पशु चराई की तलाश में
घाटी में उतर जाता है,
वैसे ही प्रभु के आत्मा ने
हमारा मार्ग-दर्शन किया था।
प्रभु, तूने अपने नाम की महिमा प्रकट करने
के लिए
हमारा पथ-प्रदर्शन किया था।’
दया और सहायता के लिए प्रार्थना
15प्रभु, स्वर्ग से, अपने पवित्र और वैभवपूर्ण
निवास-स्थान से हम पर दृष्टि कर।
कहां है तेरा हमारे प्रति उत्साह?
कहाँ है तेरी शक्ति?
अपने हृदय की ललक, अपनी दया,
हम पर से मत हटा।
16यद्यपि हमारे पूर्वज अब्राहम और इस्राएल
हमें नहीं जानते, हमें नहीं पहिचानते,
तो भी तू हमारा पिता है।
प्राचीनकाल से तेरा नाम ‘हमारा मुक्तिदाता’ है,
निस्सन्देह तू ही हमारा पिता है।।
17हे प्रभु, क्यों तू
हमें अपने मार्ग से भटकाता है,
क्यों तू हमारा हृदय कठोर करता है
कि हम तुझसे न डरें?
अपनी मीरास के कुलों के लिए,
अपने सेवकों के हित में लौट आ।
18क्यों दुर्जनों ने
तेरे पवित्र स्थान पर आक्रमण किया,
क्यों हमारे बैरियों ने उसको रौंदा है?
19हमारी दशा ऐसी हो गई
मानो तूने हम पर कभी शासन नहीं किया,
हमको तूने अपने नाम से कभी बुलाया ही
नहीं।
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