यिर्मयाह 48
48
मोआब राष्ट्र के सम्बन्ध में नबूवत#यश 15—16
1स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, इस्राएल के परमेश्वर ने मोआब देश के सम्बन्ध में यों कहा :
‘शोक! नबो नगर खण्डहर हो गया।
शत्रु-सेना ने किर्यातइम नगर पर अधिकार
कर लिया,
उसका मुंह पराजय के अपमान से काला हो
गया।
ऊंचा गढ़ धूल-धूसरित कर दिया गया,
उसे भी अपमान का घूंट पीना पड़ा।
2मोआब राष्ट्र की कीर्ति नष्ट हो गई।
शत्रु हेश्बोन नगर में उसके विरुद्ध
अहित की योजनाएं बना रहे हैं।
वे कह रहे हैं,
“आओ, हम मोआब को राष्ट्र न बनने दें।”
ओ मदमेन नगर, तू भी सुनसान बनाया जाएगा,
शत्रु की तलवार तेरा पीछा करेगी।
3‘सुनो, होरोनइम से चिल्लाहट का शब्द आ
रहा है : विध्वंस! महा विध्वंस!
4मोआब नष्ट हो गया।
सोअर नगर तक उसकी चीत्कार सुनाई दे
रही है।
5शरणार्थी रोते हुए
लूहीत के चढ़ाव पर चढ़ रहे हैं;
क्योंकि उन्होंने होरनइम की ढाल पर विनाश
की चीत्कार सुनी।
6भागो। अपने प्राण बचाओ।
जंगली गधे की तरह वीरान मरुस्थल में रहो।
7‘क्योंकि तूने अपने गढ़ों और खजानों पर
भरोसा किया था,
इसलिए तू भी बन्दी बनाया जाएगा।
तेरा राष्ट्रीय देवता कमोश भी
जंजीरों से जकड़ा जाएगा, और निष्कासित
होगा,
और उसके साथ
उसके पुरोहित और उच्चाधिकारी भी
बन्दी बनकर दासत्व में जाएंगे।
8विनाश करने वाला प्रत्येक नगर में आएगा,
और कोई भी नगर विनाश के पंजे से
बच नहीं सकेगा;
हर एक घाटी विनाश के रक्त से भर जाएगी,
सब मैदान उजड़ जाएंगे, जैसा प्रभु ने कहा है।
9‘मोआब को पंख लग जाएं
तो वह प्राण बचा कर दूर उड़ जाए।
उसके नगर उजड़ जाएंगे;
और उनमें कोई निवास नहीं करेगा।
10‘उस मनुष्य को शाप लगे, जो प्रभु के काम में आलस्य करता है। शापित है वह मनुष्य जो प्रभु के आदेश का पालन नहीं करता, और अपनी तलवार को म्यान में रखता है, और रक्त नहीं बहाता।
11‘मोआब बचपन से ही सुखी रहा है; वह मानो पुरानी मदिरा है और उसकी तलछट निकालने के लिए उसको एक बर्तन से दूसरे बर्तन में नहीं उण्डेला गया : मोआब कभी बन्दी हो कर निष्कासित नहीं हुआ। अत: स्वतन्त्रता का स्वाद अब तक उसके मुंह में हैं; आजादी की खुशबू उससे अलग नहीं हुई।
12‘इसलिए, देखो, प्रभु की यह वाणी है, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं मोआब में उण्डेलनेवालों को भेजूंगा। वे मोआब को उण्डेलेंगे, वे उसको खाली करेंगे, और जिस पात्र में वह है, उसको फोड़ देंगे। 13तब मोआब इस पराजय से अपने राष्ट्र देवता कमोश के कारण अपमानित होगा, जैसे इस्राएल बेतएल देवता के कारण अपमानित हुआ था, जब उसने बेतएल पर भरोसा किया था।#हो 10:6; 1 रा 12:29
14‘ओ मोआब के सैनिको, तुम यह कैसे कह सकते हो कि तुम वीर सैनिक हो, महायोद्धा हो?
15‘देखो, मोआब का विनाश करने वाला आ गया। और वह नगरों में पहुंच गया; मोआब के सर्वोत्तम सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए। राजाधिराज ने, जिसका नाम “स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु है,” यह कहा है।
16‘मोआब के संकट का दिन समीप आ गया, उसकी विपत्ति तेजी से बढ़ी चली आ रही है।
17ओ राष्ट्रो, तुम जो उसके आसपास हो,
तुम जो उसके नाम से परिचित हो,
उसके लिए शोक मनाओ,
और कहो, ‘शोक! शक्तिशाली राजदण्ड,
तेजस्वी अधिकार-दण्ड कैसे टूट गया?”
18ओ दीबोन के निवासियो!
अपने गौरवशाली आसन से नीचे उतरो,
और सूखी भूमि पर बैठो।
क्योंकि मोआब के विनाशक ने
तुम पर आक्रमण किया है।
उसने तुम्हारे गढ़ों को ध्वस्त कर दिया है।
19ओ अरोएर के निवासियो!
मार्ग के किनारे खड़े हो, और शरणार्थियों
को देखो,
प्राण बचाकर भागनेवालों से पूछो,
“क्या हुआ? तुम क्यों भाग रहे हो?”
20वे तुम्हें बताएंगे कि मोआब का पतन हो गया,
उसको पराजय का अपमान सहना पड़ा।
रोओ, और पुकारो।
अर्नोन नगर में भी बताओ
कि मोआब नष्ट हो गया।
21‘प्रभु ने इन नगरों को दण्ड की आज्ञा दी है : पठार की भूमि के नगर, होलोन, यहसा, मेपात, 22दीबोन, नबो, बेत-दिबलातइम, 23किर्यातइम, बेतगामूल, बेतमोन, 24करियोत और बोसुरा। इनके अतिरिक्त मोआब के दूर और पास के सब नगर। 25प्रभु कहता है : मोआब की शक्ति का सींग कट गया, उसकी भुजाएं टूट गईं।
26‘मोआब ने प्रभु के विरुद्ध स्वयं को महान समझा था; उसको विनाश की मदिरा पिलाओ। तब मोआब अपने वमन में लोटेगा, और देखनेवाले उसका मजाक उड़ाएंगे। 27ओ मोआब, क्या तूने इस्राएल का मज़ाक नहीं उड़ाया था? क्या इस्राएल चोरों के साथ पकड़ा गया था कि जब तू उसकी चर्चा करता था तब उपेक्षा से सिर हिलाता था?
28‘ओ मोआब के निवासियो!
नगर छोड़कर पहाड़ी की गुफा में जा बसो।
कबूतरों के समान बन जाओ
जो गुफा के मुंह के किनारों पर घोंसला
बनाते हैं।
29हमने मोआब के विषय में सुना है
कि वह बहुत घमण्डी है,
वह बढ़-बढ़कर बातें करता है;
वह अभिमान करता है, वह धृष्ट वचन
बोलता है।
उसके हृदय में अहंकार भरा है।
30प्रभु कहता है, “मैं उसकी घृष्टता जानता हूं,
उसका शेखी मारना केवल झूठ है,
उसके बड़े बोलों से कुछ न बन पड़ा।”
31इसलिए मैं मोआब के लिए रोता हूं,
मैं उसके लिए चिल्लाता हूं;
मैं कीरहेरेस नगर के लोगों के लिए शोक
मनाता हूं।
32ओ सिबमा की अंगूर लता,
मैं तेरे लिए याजेर नगर से अधिक विलाप
करता हूं।
तेरी शाखाएं समुद्र तट तक,
याजेर तक फैल गई थीं।
किन्तु विनाश करनेवाला, तेरे ग्रीष्म फलों
पर,
तोड़े हुए अंगूर के भण्डारों पर टूट पड़ा है।
33मोआब की उपजाऊ भूमि से
आनन्द और हर्ष विदा हो गए।
मैंने अंगूर रस-कुण्डों में रस सुखा दिया,
अब हंसते-गाते किसान
रसकुण्डों से रस नहीं निकालते।
उनके मुंह से हर्ष की आवाज नहीं निकलती।
34‘हेशबोन और एलालेह चिल्ला रहे हैं। उनकी चिल्लाहट की आवाज यहस तक सुनाई दे रही है। उनकी आवाज सोअर से होरोनइम, और एग्लत-शलीशिया तक सुनाई दे रही है; क्योंकि निम्रीम के जलाशय भी सूख गए हैं। 35प्रभु कहता है : “मैं मोआब देश में से उसका पूर्ण संहार कर दूंगा, जो पहाड़ी शिखर के मन्दिरों में कमोश देवता को बलि चढ़ाएगा, और धूप जलाएगा।”
36‘मेरा हृदय मोआब के लिए बांसुरी की करुण रागिनी के सदृश रो रहा है। मेरा हृदय कीरहेरेस के निवासियों के लिए शोक से व्याकुल है, मानो बांसुरी पर शोक का आलाप हो रहा है। मोआब और कीरहेरेस का कमाया हुआ सारा धन नष्ट हो गया।
37‘प्रत्येक आदमी ने अपना सिर और अपनी दाढ़ी मूँड़ी है। उन्होंने शोक प्रकट करने के लिए अपने शरीर पर घाव किये हैं, और कमर में टाट का वस्त्र पहिना है। 38मोआब के मकानों की छतों और चौकों पर रोना-पीटना हो रहा है: सब जगह विलाप ही विलाप हो रहा है; क्योंकि मैंने मिट्टी के बरतन की तरह मोआब को तोड़ दिया है; अब उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। प्रभु की यह वाणी है।
39‘मोआब कैसे टूटा पड़ा है! लोग कैसे छाती पीट-पीटकर रो रहे हैं! मोआब अपमान में डूबा हुआ कैसे मुंह छिपा रहा है! मोआब के आस-पास के राष्ट्र उसका मजाक उड़ा रहे हैं, मोआब उनकी दृष्टि में आतंक का कारण बन गया है।’
40प्रभु यों कहता है :
‘देखो, कोई बाज की तरह वेग से उड़ेगा,
और मोआब पर उसके विनाश के लिए
अपने पंख फैलाएगा।
41वह मोआब के नगरों पर अधिकार कर
लेगा।
वह उसके गढ़ों को घेर लेगा।
जैसे प्रसव के समय
स्त्री का हृदय डर से कांपता है,
वैसे ही उस दिन
मोआब के योद्धाओं का हृदय डर से कांपेगा।
42मोआब उस दिन पूर्णत: नष्ट हो जाएगा,
वह एक राष्ट्र के रूप में समाप्त हो जाएगा,
क्योंकि उसने प्रभु के विरुद्ध
स्वयं को महान समझा था।
43प्रभु कहता है : “ओ मोआब के निवासियो,
तुम्हारे सामने आतंक, गड्ढा और फन्दा
फैले हुए हैं।
44जो मनुष्य आतंक से डर कर भागेगा,
वह गड्ढे में गिरेगा;
और जो गड्ढे से बाहर निकलेगा,
वह फंदे में फंसेगा।
मैं-प्रभु कहता हूँ : मोआब के दण्ड-वर्ष
के दिनों में
मैं मोआब पर ये विपत्तियां ढाहूंगा।”
45‘शरणार्थी हेशबोन की छाया में खड़े हैं,
किन्तु उनमें खड़े रहने का सामर्थ नहीं है।
देखो, हेशबोन से अग्नि-ज्वाला निकली,
सीहोन के महल से लपटें निकलीं,
और उसने मोआब का माथा भस्म कर
दिया,
उपद्रवी राजपुत्रों के मुकुट को धूल-
धूसरित कर दिया।#गण 21:28
46ओ मोआब, शोक! शोक!
कमोश के अनुयायी नष्ट हो गए!
तेरे नागरिक, स्त्री और पुरुष
बन्दी बनकर निष्कासित हो गए।
47प्रभु कहता है, “तो भी मैं मोआब की समृद्धि
आनेवाले दिनों में पुन: लौटाऊंगा।”
मोआब का दण्ड-विचार समाप्त हुआ।’
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48
मोआब राष्ट्र के सम्बन्ध में नबूवत#यश 15—16
1स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु, इस्राएल के परमेश्वर ने मोआब देश के सम्बन्ध में यों कहा :
‘शोक! नबो नगर खण्डहर हो गया।
शत्रु-सेना ने किर्यातइम नगर पर अधिकार
कर लिया,
उसका मुंह पराजय के अपमान से काला हो
गया।
ऊंचा गढ़ धूल-धूसरित कर दिया गया,
उसे भी अपमान का घूंट पीना पड़ा।
2मोआब राष्ट्र की कीर्ति नष्ट हो गई।
शत्रु हेश्बोन नगर में उसके विरुद्ध
अहित की योजनाएं बना रहे हैं।
वे कह रहे हैं,
“आओ, हम मोआब को राष्ट्र न बनने दें।”
ओ मदमेन नगर, तू भी सुनसान बनाया जाएगा,
शत्रु की तलवार तेरा पीछा करेगी।
3‘सुनो, होरोनइम से चिल्लाहट का शब्द आ
रहा है : विध्वंस! महा विध्वंस!
4मोआब नष्ट हो गया।
सोअर नगर तक उसकी चीत्कार सुनाई दे
रही है।
5शरणार्थी रोते हुए
लूहीत के चढ़ाव पर चढ़ रहे हैं;
क्योंकि उन्होंने होरनइम की ढाल पर विनाश
की चीत्कार सुनी।
6भागो। अपने प्राण बचाओ।
जंगली गधे की तरह वीरान मरुस्थल में रहो।
7‘क्योंकि तूने अपने गढ़ों और खजानों पर
भरोसा किया था,
इसलिए तू भी बन्दी बनाया जाएगा।
तेरा राष्ट्रीय देवता कमोश भी
जंजीरों से जकड़ा जाएगा, और निष्कासित
होगा,
और उसके साथ
उसके पुरोहित और उच्चाधिकारी भी
बन्दी बनकर दासत्व में जाएंगे।
8विनाश करने वाला प्रत्येक नगर में आएगा,
और कोई भी नगर विनाश के पंजे से
बच नहीं सकेगा;
हर एक घाटी विनाश के रक्त से भर जाएगी,
सब मैदान उजड़ जाएंगे, जैसा प्रभु ने कहा है।
9‘मोआब को पंख लग जाएं
तो वह प्राण बचा कर दूर उड़ जाए।
उसके नगर उजड़ जाएंगे;
और उनमें कोई निवास नहीं करेगा।
10‘उस मनुष्य को शाप लगे, जो प्रभु के काम में आलस्य करता है। शापित है वह मनुष्य जो प्रभु के आदेश का पालन नहीं करता, और अपनी तलवार को म्यान में रखता है, और रक्त नहीं बहाता।
11‘मोआब बचपन से ही सुखी रहा है; वह मानो पुरानी मदिरा है और उसकी तलछट निकालने के लिए उसको एक बर्तन से दूसरे बर्तन में नहीं उण्डेला गया : मोआब कभी बन्दी हो कर निष्कासित नहीं हुआ। अत: स्वतन्त्रता का स्वाद अब तक उसके मुंह में हैं; आजादी की खुशबू उससे अलग नहीं हुई।
12‘इसलिए, देखो, प्रभु की यह वाणी है, वे दिन आ रहे हैं, जब मैं मोआब में उण्डेलनेवालों को भेजूंगा। वे मोआब को उण्डेलेंगे, वे उसको खाली करेंगे, और जिस पात्र में वह है, उसको फोड़ देंगे। 13तब मोआब इस पराजय से अपने राष्ट्र देवता कमोश के कारण अपमानित होगा, जैसे इस्राएल बेतएल देवता के कारण अपमानित हुआ था, जब उसने बेतएल पर भरोसा किया था।#हो 10:6; 1 रा 12:29
14‘ओ मोआब के सैनिको, तुम यह कैसे कह सकते हो कि तुम वीर सैनिक हो, महायोद्धा हो?
15‘देखो, मोआब का विनाश करने वाला आ गया। और वह नगरों में पहुंच गया; मोआब के सर्वोत्तम सैनिक मौत के घाट उतार दिए गए। राजाधिराज ने, जिसका नाम “स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु है,” यह कहा है।
16‘मोआब के संकट का दिन समीप आ गया, उसकी विपत्ति तेजी से बढ़ी चली आ रही है।
17ओ राष्ट्रो, तुम जो उसके आसपास हो,
तुम जो उसके नाम से परिचित हो,
उसके लिए शोक मनाओ,
और कहो, ‘शोक! शक्तिशाली राजदण्ड,
तेजस्वी अधिकार-दण्ड कैसे टूट गया?”
18ओ दीबोन के निवासियो!
अपने गौरवशाली आसन से नीचे उतरो,
और सूखी भूमि पर बैठो।
क्योंकि मोआब के विनाशक ने
तुम पर आक्रमण किया है।
उसने तुम्हारे गढ़ों को ध्वस्त कर दिया है।
19ओ अरोएर के निवासियो!
मार्ग के किनारे खड़े हो, और शरणार्थियों
को देखो,
प्राण बचाकर भागनेवालों से पूछो,
“क्या हुआ? तुम क्यों भाग रहे हो?”
20वे तुम्हें बताएंगे कि मोआब का पतन हो गया,
उसको पराजय का अपमान सहना पड़ा।
रोओ, और पुकारो।
अर्नोन नगर में भी बताओ
कि मोआब नष्ट हो गया।
21‘प्रभु ने इन नगरों को दण्ड की आज्ञा दी है : पठार की भूमि के नगर, होलोन, यहसा, मेपात, 22दीबोन, नबो, बेत-दिबलातइम, 23किर्यातइम, बेतगामूल, बेतमोन, 24करियोत और बोसुरा। इनके अतिरिक्त मोआब के दूर और पास के सब नगर। 25प्रभु कहता है : मोआब की शक्ति का सींग कट गया, उसकी भुजाएं टूट गईं।
26‘मोआब ने प्रभु के विरुद्ध स्वयं को महान समझा था; उसको विनाश की मदिरा पिलाओ। तब मोआब अपने वमन में लोटेगा, और देखनेवाले उसका मजाक उड़ाएंगे। 27ओ मोआब, क्या तूने इस्राएल का मज़ाक नहीं उड़ाया था? क्या इस्राएल चोरों के साथ पकड़ा गया था कि जब तू उसकी चर्चा करता था तब उपेक्षा से सिर हिलाता था?
28‘ओ मोआब के निवासियो!
नगर छोड़कर पहाड़ी की गुफा में जा बसो।
कबूतरों के समान बन जाओ
जो गुफा के मुंह के किनारों पर घोंसला
बनाते हैं।
29हमने मोआब के विषय में सुना है
कि वह बहुत घमण्डी है,
वह बढ़-बढ़कर बातें करता है;
वह अभिमान करता है, वह धृष्ट वचन
बोलता है।
उसके हृदय में अहंकार भरा है।
30प्रभु कहता है, “मैं उसकी घृष्टता जानता हूं,
उसका शेखी मारना केवल झूठ है,
उसके बड़े बोलों से कुछ न बन पड़ा।”
31इसलिए मैं मोआब के लिए रोता हूं,
मैं उसके लिए चिल्लाता हूं;
मैं कीरहेरेस नगर के लोगों के लिए शोक
मनाता हूं।
32ओ सिबमा की अंगूर लता,
मैं तेरे लिए याजेर नगर से अधिक विलाप
करता हूं।
तेरी शाखाएं समुद्र तट तक,
याजेर तक फैल गई थीं।
किन्तु विनाश करनेवाला, तेरे ग्रीष्म फलों
पर,
तोड़े हुए अंगूर के भण्डारों पर टूट पड़ा है।
33मोआब की उपजाऊ भूमि से
आनन्द और हर्ष विदा हो गए।
मैंने अंगूर रस-कुण्डों में रस सुखा दिया,
अब हंसते-गाते किसान
रसकुण्डों से रस नहीं निकालते।
उनके मुंह से हर्ष की आवाज नहीं निकलती।
34‘हेशबोन और एलालेह चिल्ला रहे हैं। उनकी चिल्लाहट की आवाज यहस तक सुनाई दे रही है। उनकी आवाज सोअर से होरोनइम, और एग्लत-शलीशिया तक सुनाई दे रही है; क्योंकि निम्रीम के जलाशय भी सूख गए हैं। 35प्रभु कहता है : “मैं मोआब देश में से उसका पूर्ण संहार कर दूंगा, जो पहाड़ी शिखर के मन्दिरों में कमोश देवता को बलि चढ़ाएगा, और धूप जलाएगा।”
36‘मेरा हृदय मोआब के लिए बांसुरी की करुण रागिनी के सदृश रो रहा है। मेरा हृदय कीरहेरेस के निवासियों के लिए शोक से व्याकुल है, मानो बांसुरी पर शोक का आलाप हो रहा है। मोआब और कीरहेरेस का कमाया हुआ सारा धन नष्ट हो गया।
37‘प्रत्येक आदमी ने अपना सिर और अपनी दाढ़ी मूँड़ी है। उन्होंने शोक प्रकट करने के लिए अपने शरीर पर घाव किये हैं, और कमर में टाट का वस्त्र पहिना है। 38मोआब के मकानों की छतों और चौकों पर रोना-पीटना हो रहा है: सब जगह विलाप ही विलाप हो रहा है; क्योंकि मैंने मिट्टी के बरतन की तरह मोआब को तोड़ दिया है; अब उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। प्रभु की यह वाणी है।
39‘मोआब कैसे टूटा पड़ा है! लोग कैसे छाती पीट-पीटकर रो रहे हैं! मोआब अपमान में डूबा हुआ कैसे मुंह छिपा रहा है! मोआब के आस-पास के राष्ट्र उसका मजाक उड़ा रहे हैं, मोआब उनकी दृष्टि में आतंक का कारण बन गया है।’
40प्रभु यों कहता है :
‘देखो, कोई बाज की तरह वेग से उड़ेगा,
और मोआब पर उसके विनाश के लिए
अपने पंख फैलाएगा।
41वह मोआब के नगरों पर अधिकार कर
लेगा।
वह उसके गढ़ों को घेर लेगा।
जैसे प्रसव के समय
स्त्री का हृदय डर से कांपता है,
वैसे ही उस दिन
मोआब के योद्धाओं का हृदय डर से कांपेगा।
42मोआब उस दिन पूर्णत: नष्ट हो जाएगा,
वह एक राष्ट्र के रूप में समाप्त हो जाएगा,
क्योंकि उसने प्रभु के विरुद्ध
स्वयं को महान समझा था।
43प्रभु कहता है : “ओ मोआब के निवासियो,
तुम्हारे सामने आतंक, गड्ढा और फन्दा
फैले हुए हैं।
44जो मनुष्य आतंक से डर कर भागेगा,
वह गड्ढे में गिरेगा;
और जो गड्ढे से बाहर निकलेगा,
वह फंदे में फंसेगा।
मैं-प्रभु कहता हूँ : मोआब के दण्ड-वर्ष
के दिनों में
मैं मोआब पर ये विपत्तियां ढाहूंगा।”
45‘शरणार्थी हेशबोन की छाया में खड़े हैं,
किन्तु उनमें खड़े रहने का सामर्थ नहीं है।
देखो, हेशबोन से अग्नि-ज्वाला निकली,
सीहोन के महल से लपटें निकलीं,
और उसने मोआब का माथा भस्म कर
दिया,
उपद्रवी राजपुत्रों के मुकुट को धूल-
धूसरित कर दिया।#गण 21:28
46ओ मोआब, शोक! शोक!
कमोश के अनुयायी नष्ट हो गए!
तेरे नागरिक, स्त्री और पुरुष
बन्दी बनकर निष्कासित हो गए।
47प्रभु कहता है, “तो भी मैं मोआब की समृद्धि
आनेवाले दिनों में पुन: लौटाऊंगा।”
मोआब का दण्ड-विचार समाप्त हुआ।’
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