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भजन संहिता 103:3-5

भजन संहिता 103:3-5 HINCLBSI

जो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता है, जो तेरे समस्‍त रोगों को स्‍वस्‍थ करता है, जो तेरे जीवन को कबर से मुक्‍त करता है, जो तुझे करुणा और अनुकम्‍पा से सुशोभित करता है, जो जीवन भर तुझे भली वस्‍तुओं से तृप्‍त करता है, जिससे तेरा यौवन गरुड़ के सदृश गतिवान हो जाता है।

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