भजन संहिता 115:1
भजन संहिता 115:1 HINCLBSI
हे प्रभु, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन् अपने नाम की महिमा कर! क्योंकि तू ही करुणा और सत्य से परिपूर्ण है।
हे प्रभु, हमारी नहीं, हमारी नहीं, वरन् अपने नाम की महिमा कर! क्योंकि तू ही करुणा और सत्य से परिपूर्ण है।