भजन संहिता 116:1-2
भजन संहिता 116:1-2 HINCLBSI
मैं प्रभु से प्रेम करता हूं, क्योंकि उसने मेरी वाणी और विनती सुनी है। उसने मेरी ओर ध्यान दिया है, अत: मैं अपने जीवन-भर उसको ही पुकारूंगा।
मैं प्रभु से प्रेम करता हूं, क्योंकि उसने मेरी वाणी और विनती सुनी है। उसने मेरी ओर ध्यान दिया है, अत: मैं अपने जीवन-भर उसको ही पुकारूंगा।