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भजन संहिता 133

133
सहभागिता की प्रशंसा
यात्रा-गीत।#133:0 पाठांतर, “दाऊद का”
1भाई-बन्‍धुओं का एक-साथ रहना,
कितना भला और मनोहर है!
2यह सिर पर डाले गए मूल्‍यवान तेल के सदृश है;
जो दाढ़ी पर बहता है,
वृद्ध पुरोहित#133:2 अथवा, “हारून” की दाढ़ी पर बहता है;
जो उसके वस्‍त्र के छोर तक बहता है।#नि 30:25-30
3यह हेर्मोन पर्वत की ओस के समान है,
जो सियोन की पहाड़ियों पर गिरती है!
वहां प्रभु अपनी आशिष को,
शाश्‍वत जीवन को प्रेषित करता है।#व्‍य 28:8; 1 यो 5:20

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