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भजन संहिता 32:2

भजन संहिता 32:2 HINCLBSI

धन्‍य है वह मनुष्‍य जिसपर प्रभु अधर्म का अभियोग नहीं लगाता, और जिसके मन में कोई कपट नहीं है।

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