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भजन संहिता 42:3

भजन संहिता 42:3 HINCLBSI

रात और दिन मेरे आंसू ही मेरा आहार रहे हैं। लोग निरन्‍तर मुझसे पूछते हैं, “कहां है तेरा परमेश्‍वर?”

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