YouVersion Logo
Search Icon

भजन संहिता 43:5

भजन संहिता 43:5 HINCLBSI

ओ मेरे प्राण, तू क्‍यों व्‍याकुल है? क्‍यों तू हृदय में अशान्‍त है? ओ मेरे प्राण, तू परमेश्‍वर की आशा कर; मैं अपने उद्धार को, अपने परमेश्‍वर को पुन: सराहूंगा।