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भजन संहिता 84:2

भजन संहिता 84:2 HINCLBSI

प्रभु के आंगनों के लिए मेरा प्राण इच्‍छुक है, मूर्छित है; मेरा हृदय, मेरा शरीर जीवंत परमेश्‍वर का जय-जयकार करता है।

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