YouVersion Logo
Search Icon

भजन संहिता 95

95
स्‍तुति के लिए आह्‍वान और प्रभु की चेतावनी
1आओ, हम प्रभु का जय-जयकार करें;
अपने उद्धार की चट्टान का जयघोष
करें।
2गुणगान करते हुए हम उसके सम्‍मुख आएं;
स्‍तुतिगान गाते हुए उसका जयघोष करें।
3प्रभु महान परमेश्‍वर है;
वह समस्‍त देवताओं के ऊपर महान राजा है;
4उसके अधिकार में पृथ्‍वी के गहरे स्‍थान हैं;
पर्वतों के शिखर भी उसी के हैं।
5जल भी उसी का है, क्‍योंकि उसने उसको
बनाया है;
थल की रचना उसी के हाथों ने की है।
6आओ, हम उसके चरणों पर झुकें
और उसकी आराधना करें;
अपने निर्माता प्रभु के सम्‍मुख घुटने टेकें।
7वह हमारा परमेश्‍वर है,
और हम उसके चरागाह की रेवड़ हैं,
उसके अधिकार#95:7 अथवा ‘पालन-संरक्षण’ की भेड़ें हैं।
भला होता कि आज तुम उसकी वाणी सुनते!#इब्र 3:7-11
8तुम अपना हृदय कठोर न करना,
जैसा तुम्‍हारे पूर्वजों ने उस दिन किया था
जब वे मरीबा में,
निर्जन प्रदेश के मस्‍सा में थे।#नि 17:7; गण 20:13
9वहाँ तुम्‍हारे पूर्वजों ने प्रभु की परीक्षा की थी,
प्रभु के कार्यों को देख कर भी उसे परखा था।
10वह चालीस वर्ष तक उस पीढ़ी से घृणा
करता रहा।
प्रभु ने यह कहा था, ‘ये हृदय के भ्रष्‍ट लोग हैं,
ये मेरे मार्गों को नहीं जानते हैं।’
11अत: प्रभु ने अपने क्रोध में यह शपथ खाई,
‘ये मेरे विश्राम में प्रवेश नहीं करेंगे।’#गण 14:22-23; इब्र 4:3-5

Highlight

Share

Copy

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in