रोमियों 3
3
यहूदी और गैर-यहूदी दोनों पाप के अधीन
1तो दूसरों की अपेक्षा यहूदी को अधिक क्या मिला? और खतने से क्या लाभ? 2हर प्रकार से बहुत कुछ! सर्वप्रथम यहूदियों को परमेश्वर का वचन सौंपा गया है।#रोम 9:4; व्य 4:7-8; भज 147:19-20; 103:7; 1 पत 4:11 3यदि यहूदियों में कुछ अविश्वासी निकले, तो क्या हुआ? क्या उनका अविश्वास परमेश्वर की विश्वसनीयता नष्ट कर देगा?#रोम 9:6; 11:29; 2 तिम 2:13 4कभी नहीं! भले ही प्रत्येक मनुष्य झूठा निकल जाये, किन्तु परमेश्वर सच्चा प्रमाणित होगा; जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है: “तेरे वचन तुझे धार्मिक ठहराते हैं। जब तेरा न्याय होता है तब तू विजयी होता है।”#भज 116:11; 51:4 (यू0 पाठ)
5यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धार्मिकता प्रदर्शित करता है, तो हम क्या कहें? क्या यह कि जब परमेश्वर क्रुद्ध होकर हमें दण्ड देता है, तब वह अन्याय करता है? मैं यह मानवीय तर्क के अनुसार कह रहा हूँ। 6कभी नहीं! यदि परमेश्वर अन्यायी होता, तो वह संसार का न्याय कैसे कर सकता? 7परन्तु यदि मेरी असत्यवादिता परमेश्वर की सत्यप्रियता और उसकी महिमा को बढ़ावा देती है, तो पापी की तरह मुझे क्यों दण्डनीय ठहराया जाता है? 8यदि ऐसी बात है, तो हम बुराई क्यों न करें, जिससे भलाई उत्पन्न हो? जैसा कि कुछ लोग जो हमारी निंदा करते हैं, कहते हैं कि हम यही सिखाते हैं। ऐसे लोग दण्डाज्ञा के योग्य हैं।#रोम 6:1-2
कोई भी मनुष्य धार्मिक नहीं है
9तो, क्या हम यहूदी दूसरों की अपेक्षा बेहतर स्थिति में हैं? कदापि नहीं! हम यह आरोप लगा चुके हैं कि सब, चाहे यहूदी हों या यूनानी, पाप के अधीन हैं,#रोम 1:18—2:24 10जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है:
“कोई भी धार्मिक नहीं है—एक भी नहीं।#भज 14:1-3 (यू0 पाठ); 53:2-4 (यू0 पाठ)
11कोई भी समझदार नहीं,
परमेश्वर की खोज में लगा रहने वाला कोई
नहीं!
12सब भटक गये, सब समान रूप से भ्रष्ट हो
गये हैं।
कोई भी भलाई नहीं करता—एक भी नहीं।
13उनका गला खुली हुई कबर है;
उनकी वाणी में छल कपट है
और उनके होंठों के तले साँप का विष है।#भज 5:9 (यू0 पाठ); 140:3
14उनका मुँह अभिशाप और कटुता से भरा है।#भज 10:7 (यू0 पाठ)
15उनके पैर रक्तपात करने दौड़ते हैं,#यश 59:7-8
16उनके मार्ग में विनाश है और विपत्ति।
17वे शान्ति का मार्ग नहीं जानते
18और उनकी आखों में परमेश्वर का भय है ही
नहीं।”#भज 36:1
19हम जानते हैं कि व्यवस्था जो कुछ कहती है, वह उन लोगों से कहती है, जो व्यवस्था के अधीन हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति का मुँह बन्द हो जाए और परमेश्वर के सामने समस्त संसार दण्ड के योग्य माना जाए।#रोम 2:12; गल 3:22 20क्योंकि व्यवस्था के कर्मकाण्ड द्वारा कोई भी मनुष्य परमेश्वर के सामने धार्मिक नहीं ठहराया जायेगा: व्यवस्था केवल पाप का ज्ञान कराती है।#भज 143:2; रोम 7:7; गल 2:16
विश्वास द्वारा पापमुक्ति
21परन्तु परमेश्वर का मुक्ति-विधान#3:21 अथवा, ‘धार्मिकता’ , जिसके विषय में मूसा की व्यवस्था और नबियों ने साक्षी दी थी, अब व्यवस्था से पृथक ही प्रकट किया गया है।#प्रे 10:43; रोम 1:17 22परमेश्वर के इस विधान में मुक्ति येशु मसीह में विश्वास करने से प्राप्त होती है और यह मुक्ति उन सब के लिए है, जो विश्वास करते हैं।#3:22 शब्दश: “परमेश्वर की धार्मिकता येशु मसीह में विश्वास द्वारा सब विश्वास करने वालों के लिए है।” अब भेद-भाव नहीं रहा। 23क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं।#रोम 9:19; 5:12 24परमेश्वर की कृपा से सब मुफ्त में उस पापमुक्ति के द्वारा धार्मिक ठहराए जाते हैं, जो येशु मसीह में प्राप्त होती है।#रोम 5:1; इफ 2:8 25परमेश्वर ने चाहा कि येशु अपना रक्त बहा कर पाप का प्रायश्चित करें, जिसका फल विश्वास द्वारा प्राप्त होता है। परमेश्वर ने इस प्रकार अपनी धार्मिकता का प्रमाण दिया; क्योंकि उसने अपनी सहनशीलता के अनुरूप पिछले युगों के पापों को अनदेखा कर दिया था।#लेव 16:12-15; 1 यो 2:2; इब्र 4:16; इफ 1:7 26उसने इस युग में अपनी धार्मिकता का प्रमाण देना चाहा, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि वह स्वयं धार्मिक है और उन सब को धार्मिक ठहराता है, जो येशु में विश्वास करते हैं।
27इसलिए किसी को अपने पर गर्व करने का अधिकार नहीं रहा। किस विधान के कारण यह अधिकार जाता रहा? यह कर्मकाण्ड के विधान के कारण नहीं, बल्कि विश्वास के विधान के कारण हुआ;#1 कुर 1:9,31 28क्योंकि हम मानते हैं कि मनुष्य व्यवस्था के कर्मकाण्ड से पृथक ही, विश्वास के द्वारा धार्मिक ठहरता है।#गल 2:16 29क्या परमेश्वर केवल यहूदियों का परमेश्वर है? क्या वह गैर-यहूदियों का परमेश्वर नहीं? वह निश्चय ही गैर-यहूदियों का भी परमेश्वर है।#रोम 10:12 30क्योंकि केवल एक ही परमेश्वर है, जो खतना कराने वाले यहूदियों को उनके विश्वास के आधार पर धार्मिक ठहराएगा और उसी विश्वास द्वारा गैर-यहूदियों को भी।#रोम 4:11-12 31तो, क्या हम इस विश्वास द्वारा व्यवस्था को रद्द करते हैं? कदापि नहीं! हम व्यवस्था की पुष्टि करते हैं।#रोम 4:3; 8:4; मत 5:17
Currently Selected:
रोमियों 3: HINCLBSI
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.
रोमियों 3
3
यहूदी और गैर-यहूदी दोनों पाप के अधीन
1तो दूसरों की अपेक्षा यहूदी को अधिक क्या मिला? और खतने से क्या लाभ? 2हर प्रकार से बहुत कुछ! सर्वप्रथम यहूदियों को परमेश्वर का वचन सौंपा गया है।#रोम 9:4; व्य 4:7-8; भज 147:19-20; 103:7; 1 पत 4:11 3यदि यहूदियों में कुछ अविश्वासी निकले, तो क्या हुआ? क्या उनका अविश्वास परमेश्वर की विश्वसनीयता नष्ट कर देगा?#रोम 9:6; 11:29; 2 तिम 2:13 4कभी नहीं! भले ही प्रत्येक मनुष्य झूठा निकल जाये, किन्तु परमेश्वर सच्चा प्रमाणित होगा; जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है: “तेरे वचन तुझे धार्मिक ठहराते हैं। जब तेरा न्याय होता है तब तू विजयी होता है।”#भज 116:11; 51:4 (यू0 पाठ)
5यदि हमारा अधर्म परमेश्वर की धार्मिकता प्रदर्शित करता है, तो हम क्या कहें? क्या यह कि जब परमेश्वर क्रुद्ध होकर हमें दण्ड देता है, तब वह अन्याय करता है? मैं यह मानवीय तर्क के अनुसार कह रहा हूँ। 6कभी नहीं! यदि परमेश्वर अन्यायी होता, तो वह संसार का न्याय कैसे कर सकता? 7परन्तु यदि मेरी असत्यवादिता परमेश्वर की सत्यप्रियता और उसकी महिमा को बढ़ावा देती है, तो पापी की तरह मुझे क्यों दण्डनीय ठहराया जाता है? 8यदि ऐसी बात है, तो हम बुराई क्यों न करें, जिससे भलाई उत्पन्न हो? जैसा कि कुछ लोग जो हमारी निंदा करते हैं, कहते हैं कि हम यही सिखाते हैं। ऐसे लोग दण्डाज्ञा के योग्य हैं।#रोम 6:1-2
कोई भी मनुष्य धार्मिक नहीं है
9तो, क्या हम यहूदी दूसरों की अपेक्षा बेहतर स्थिति में हैं? कदापि नहीं! हम यह आरोप लगा चुके हैं कि सब, चाहे यहूदी हों या यूनानी, पाप के अधीन हैं,#रोम 1:18—2:24 10जैसा कि धर्मग्रन्थ में लिखा है:
“कोई भी धार्मिक नहीं है—एक भी नहीं।#भज 14:1-3 (यू0 पाठ); 53:2-4 (यू0 पाठ)
11कोई भी समझदार नहीं,
परमेश्वर की खोज में लगा रहने वाला कोई
नहीं!
12सब भटक गये, सब समान रूप से भ्रष्ट हो
गये हैं।
कोई भी भलाई नहीं करता—एक भी नहीं।
13उनका गला खुली हुई कबर है;
उनकी वाणी में छल कपट है
और उनके होंठों के तले साँप का विष है।#भज 5:9 (यू0 पाठ); 140:3
14उनका मुँह अभिशाप और कटुता से भरा है।#भज 10:7 (यू0 पाठ)
15उनके पैर रक्तपात करने दौड़ते हैं,#यश 59:7-8
16उनके मार्ग में विनाश है और विपत्ति।
17वे शान्ति का मार्ग नहीं जानते
18और उनकी आखों में परमेश्वर का भय है ही
नहीं।”#भज 36:1
19हम जानते हैं कि व्यवस्था जो कुछ कहती है, वह उन लोगों से कहती है, जो व्यवस्था के अधीन हैं, जिससे प्रत्येक व्यक्ति का मुँह बन्द हो जाए और परमेश्वर के सामने समस्त संसार दण्ड के योग्य माना जाए।#रोम 2:12; गल 3:22 20क्योंकि व्यवस्था के कर्मकाण्ड द्वारा कोई भी मनुष्य परमेश्वर के सामने धार्मिक नहीं ठहराया जायेगा: व्यवस्था केवल पाप का ज्ञान कराती है।#भज 143:2; रोम 7:7; गल 2:16
विश्वास द्वारा पापमुक्ति
21परन्तु परमेश्वर का मुक्ति-विधान#3:21 अथवा, ‘धार्मिकता’ , जिसके विषय में मूसा की व्यवस्था और नबियों ने साक्षी दी थी, अब व्यवस्था से पृथक ही प्रकट किया गया है।#प्रे 10:43; रोम 1:17 22परमेश्वर के इस विधान में मुक्ति येशु मसीह में विश्वास करने से प्राप्त होती है और यह मुक्ति उन सब के लिए है, जो विश्वास करते हैं।#3:22 शब्दश: “परमेश्वर की धार्मिकता येशु मसीह में विश्वास द्वारा सब विश्वास करने वालों के लिए है।” अब भेद-भाव नहीं रहा। 23क्योंकि सब ने पाप किया और सब परमेश्वर की महिमा से वंचित हो गए हैं।#रोम 9:19; 5:12 24परमेश्वर की कृपा से सब मुफ्त में उस पापमुक्ति के द्वारा धार्मिक ठहराए जाते हैं, जो येशु मसीह में प्राप्त होती है।#रोम 5:1; इफ 2:8 25परमेश्वर ने चाहा कि येशु अपना रक्त बहा कर पाप का प्रायश्चित करें, जिसका फल विश्वास द्वारा प्राप्त होता है। परमेश्वर ने इस प्रकार अपनी धार्मिकता का प्रमाण दिया; क्योंकि उसने अपनी सहनशीलता के अनुरूप पिछले युगों के पापों को अनदेखा कर दिया था।#लेव 16:12-15; 1 यो 2:2; इब्र 4:16; इफ 1:7 26उसने इस युग में अपनी धार्मिकता का प्रमाण देना चाहा, जिससे यह स्पष्ट हो जाये कि वह स्वयं धार्मिक है और उन सब को धार्मिक ठहराता है, जो येशु में विश्वास करते हैं।
27इसलिए किसी को अपने पर गर्व करने का अधिकार नहीं रहा। किस विधान के कारण यह अधिकार जाता रहा? यह कर्मकाण्ड के विधान के कारण नहीं, बल्कि विश्वास के विधान के कारण हुआ;#1 कुर 1:9,31 28क्योंकि हम मानते हैं कि मनुष्य व्यवस्था के कर्मकाण्ड से पृथक ही, विश्वास के द्वारा धार्मिक ठहरता है।#गल 2:16 29क्या परमेश्वर केवल यहूदियों का परमेश्वर है? क्या वह गैर-यहूदियों का परमेश्वर नहीं? वह निश्चय ही गैर-यहूदियों का भी परमेश्वर है।#रोम 10:12 30क्योंकि केवल एक ही परमेश्वर है, जो खतना कराने वाले यहूदियों को उनके विश्वास के आधार पर धार्मिक ठहराएगा और उसी विश्वास द्वारा गैर-यहूदियों को भी।#रोम 4:11-12 31तो, क्या हम इस विश्वास द्वारा व्यवस्था को रद्द करते हैं? कदापि नहीं! हम व्यवस्था की पुष्टि करते हैं।#रोम 4:3; 8:4; मत 5:17
Currently Selected:
:
Highlight
Share
Copy
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.